हिंदू नव वर्ष, गुड़ी पड़वा, वर्ष प्रतिपदा, नव संवत्सर, और ऐसे ही कई नामों से मनाया जा रहा है। इसी श्रंखला में एक नाम आता है विक्रम संवत। क्या आप जानते हैं विक्रम संवत में विक्रम और संवत कौन-कौन है। विक्रम संवत से क्या तात्पर्य है और इसकी शुरुआत कब से हुई थी।
विक्रम संवत में विक्रम और संवत कौन-कौन है- General knowledge for students
विक्रम संवत में विक्रम से तात्पर्य है राजा विक्रमादित्य, जिन्होंने समय की गणना की एक विशेष विधि की स्थापना की थी। इस विशेष विधि को संवत कहकर पुकारा जाता है। इस प्रकार राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित समय की गणना की विधि को विक्रम संवत कहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो यह एक कैलेंडर है। जिसमें आने वाले साल के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां, तिथि, मौसम एवं तीज त्यौहार इत्यादि के बारे में वर्णन मिलता है विक्रमादित्य उज्जयिनी के राजा थे। यह भारत का प्राचीन एवं महत्वपूर्ण नगर है। भगवान श्री कृष्ण का विद्या अध्ययन उज्जैनी में हुआ था।
ग्रह-नक्षत्रों की खोज करने वाले ऋषि का नाम क्या है- General knowledge for society
विक्रम संवत के अलावा भी भारत में कई प्रकार के संवत स्थापित हुए थे परंतु अंत में विक्रम संवत को सबसे सटीक और सही माना गया। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसवी पूर्व में हुई थी। शास्त्रों में समय की गणना का सबसे पहला उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। निश्चित रूप से बहुत सारे लोगों को नहीं पता होगा कि विश्व में सबसे पहले दीर्घतमा ऋषि ने ग्रह, तारे, नक्षत्र और उपग्रहों के बारे में विस्तृत अनुसंधान किया था। उन्हीं के डॉक्यूमेंट के बेस पर आज भी अमेरिका की एजेंसी नासा अध्ययन करती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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