मूंगफली, फल नहीं फसल है। मूंगफली की खेती होती है और मूंगफली का तेल निकलता है। किसी भी दृष्टि से इसकी प्रकृति फलों वाली नहीं है। फिर भी मूंगफली के दानों को उपवास में फलाहार में शामिल किया जाता है। सवाल यह है कि मूंगफली के दानों को फलाहार में क्यों शामिल किया जाता है। क्या हमारे पूर्वजों के पास ड्राई फ्रूट्स खरीदने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए या फिर इसके पीछे कुछ और भी लॉजिक है। आइए कारण पता करते हैं:-
Know your culture- व्रत एवं उपवास में दाल नहीं खाते इसलिए मूंगफली खाते हैं
मूँगफली को groundnut, peanut, monkey nut ,Pindar, Goober nut आदि कई नामों से जाना जाता है। मूंगफली, प्रोटीन और फैट्स का मुख्य स्रोत होती है। चूँकि हम व्रत में मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट ही खा रहे होते हैं जैसे - साबूदाना, आलू, शकरकंद इन सब में में कार्बोहाइड्रेट बहुत अधिक मात्रा में उपस्थित होता है। राजगीर, सिंघाड़े की बात करें तो थोड़ी बहुत मात्रा में मात्रा में इनमे भी प्रोटीन और फाइबर उपस्थित होते हैं। लौकी, कद्दू, गाजर, फलों की बात करें तो ये सब विटामिंस और मिनरल्स से भरपूर होते हैं। दूध और दही में भी थोड़ी मात्रा में प्रोटीन, और फैट्स उपस्थित होते हैं। इसलिए प्रोटीन का कोटा पूरा करने के लिए मूंगफली के दाने खाए जाते हैं।
Know your traditions- मात्र 100 ग्राम मूंगफली दिन भर का प्रोटीन दे देती है
मूंगफली में काफी अधिक मात्रा में प्रोटीन उपस्थित होता है (प्रति 100 ग्राम मूँगफली में लगभग 25 ग्राम प्रोटीन होता है) इस कारण हम व्रत में मूंगफली का उपयोग करते हैं। चूँकि उपवास में हम किसी भी प्रकार की दालों का सेवन नहीं कर रहे होते हैं, जो कि प्रोटीन का मुख्य स्रोत होती हैं। इस कारण दाल के सब्सीट्यूट के रूप में हम मूंगफली का उपयोग उपवास के दौरान करते हैं। जिससे कि हमारे शरीर में किसी भी प्रकार के पोषक तत्वों की कमी ना रहे।
Special things of india- वैज्ञानिक रूप से मूंगफली क्या है
आपको यह जानकर भी सुखद आश्चर्य होने वाला है कि मूंगफली का खाया जाने वाला भाग बीज (seed) होता है। मूंगफली का वानस्पतिक नाम (Botanical name) अरेकिस हाइपोजिया (Arachis hyogea) है जो कि Leguminaceae या fabaceae कुल का सदस्य है।
Home remedies of India- मूंगफली को द्विबीजपत्री क्यों कहा जाता है
अगर आप मूंगफली के बीज को अपने हाथ से तोडेंगे तो वह दो बराबर भागों में आसानी से टूट जाता है, यही कारण है कि इसे द्विबीजपत्री (Dicotyledon) कहा जाता है। जैसे- चना, मटर आदि भी द्विबीजपत्री के ही उदाहरण हैं। मूंगफली पौष्टिक होने के साथ-साथ होने के साथ-साथ हमारे पर्यावरण के लिए भी काफी उपयोगी है, इसके बारे में हम फिर कभी जानेंगे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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