भगवान विष्णु की लाखों कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन सभी कथाओं में एक बात कॉमन है और वह यह कि भगवान विष्णु का प्रत्येक अवतार और उनकी सभी लीलाएं विज्ञान और समाज से जुड़ी हुई है। आइए जानते हैं कि भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र के पीछे का विज्ञान क्या है और क्यों इस प्रकार का चक्र दोबारा कोई नहीं बना पाया।
शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चांदी का बना हुआ है। चक्र पर लोहे के शूल लगे हुए हैं। यह इच्छाशक्ति के आधार पर चलने वाला शस्त्र है। शास्त्रों में सुदर्शन चक्र का डिजाइन भी दिया हुआ है। इसके आधार पर कोई भी इंजीनियर सुदर्शन चक्र जैसा दूसरा चक्र आसानी से बना सकता है, लेकिन आज तक ऐसा कोई नहीं कर पाया इसके पीछे प्रमुख कारण है सुदर्शन चक्र का ईंधन।
सुदर्शन चक्र तो बनाया जा सकता है परंतु उसे उतनी गति से घुमाया नहीं जा सकता, जितनी गति से भगवान विष्णु द्वारा धारण और उपयोग किया जाता था। शास्त्रों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि सुदर्शन चक्र को संचालित करने के लिए न्यूक्लियर फ्यूजन का उपयोग किया जाता है। जो प्रकृति में मात्र सूर्य के अंदर होता है। यही कारण है कि सुदर्शन चक्र जैसे घातक शस्त्र के निर्माण में चांदी का उपयोग किया गया। क्योंकि चांदी की इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी सबसे ज्यादा होती है।
हमारा विज्ञान इतना तो संपन्न हो गया कि चांदी और लोहे का उपयोग करते हुए हुबहू सुदर्शन चक्र बनाया जा सकता है और उसे इच्छाशक्ति के आधार पर कहीं पर भी भेजा जा सकता है और वापस बुलाया जा सकता है लेकिन दुनिया भर के वैज्ञानिक आज भी यह प्रयास कर रहे हैं कि किस प्रकार सूर्य के अंदर मौजूद न्यूक्लियर फ्यूजन का उपयोग करते हुए ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
- (इसी प्रकार की मजेदार जानकारियों के लिए जनरल नॉलेज पर क्लिक करें) यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें।
editorbhopalsamachar@gmail.com
(general knowledge in hindi, gk question answer in hindi, general knowledge questions in hindi, gktoday in hindi, general awareness in hindi)