ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर के लश्कर उपनगर ग्वालियर और मुरार तीनों सराफा बाजारों में कारोबारियों की संख्या करीब 700 से अधिक है और अभी तक केवल 180 सराफा कारोबारियों ने ही हॉलमार्क लाइसेंस लिए हैं। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक जिन स्वर्ण कारोबारियों का सालाना टर्न ओवर 40 लाख रुपए तक या इससे अधिक है। उन्हें हॉलमार्क लाइसेंस लेना जरूरी है। ऐसे में अधिकांश कारोबारी कम टर्नओवर का बहाना बनाकर लाइसेंस लेने से बच रहे हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो ने पिछले साल 16 जून से गोल्ड ज्वैलरी पर हॉलमार्क की अनिवार्यता लागू कर दी थी। गोल्ड ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग की व्यवस्था लागू हुए 10 महीने बीत चुके हैं, फिर भी शहर के सराफा कारोबारी लाइसेंस लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। वहीं बीआइएस की टीम ने अभी तक ऐसे कारोबारियों की जांच-पड़ताल भी नहीं की है।
बीआइएस के नियमों के मुताबिक बिना लाइसेंस गोल्ड ज्वैलरी बेचने या नॉन हॉलमार्क ज्वैलरी बेचने वाले ज्वैलर्स के खिलाफ माल जब्ती, पांच लाख रुपए तक आर्थिक दंड और जेल का प्रावधान किया गया है। पुरुषोत्तम जैन, अध्यक्ष, सोना-चांदी व्यवसाय संघ लश्कर का कहना है कि शहर में करीब 700 से अधिक सराफा कारोबारी हैं। इनमें से अभी तक 180 कारोबारियों ने लाइसेंस लिए हैं। बाकी कारोबारी सरकार की गाइडलाइन की जद में नहीं आने के कारण लाइसेंसनहीं ले रहे। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.