ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में 50 से अधिक ऐसे अस्पताल हैं, जो सिर्फ कालेज की मान्यता प्राप्त करने के लिए कागजों में खोले गए। आज भी ये अस्पताल स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में संचालित हैं, लेकिन मौके पर देखने पर इनमें एक इंजेक्शन तक नजर नहीं आता है।
दरअसल नर्सिंग कॉलेज की मान्यता के लिए कालेज के पास स्वयं का 100 बिस्तर का अस्पताल या ऐसे किसी अस्पताल के साथ अनुबंध होना चाहिए। इसके बदले में 30 छात्र चिकित्सकीय अभ्यास कर सकते हैं। 100 बिस्तर का अस्पताल अनिवार्य होने के कारण नर्सिंग कालेज संचालक मिलीभगत कर अस्पताल का पंजीयन करा लेते हैं, लेकिन उसके बाद मौके पर सिर्फ बोर्ड लगाकर निरीक्षण करा दिया जाता है, जबकि असल में वहां एक इंजेक्शन तक नहीं होता है। शहर के अलग-अलग इलाकों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी नर्सिंग कालेज संचालकों ने ऐसे अस्पताल पंजीकृत करा रखे हैं।
श्री धन्वंतरि मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल खोला गया था वहां सिर्फ एक निजी स्कूल संचालित होता है। अस्पताल के हिस्से का शटर गिरा हुआ था। आसपास के लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि यहां कभी कोई अस्पताल नहीं खोला गया है। चार शहर का नाका पर सिर्फ जय मां पीतांबरा हास्पिटल संचालित किया जाता है। इसका पंजीयन 30 जुलाई 2013 को किया गया था, जबकि पीतांबरा माता नर्सिंग होम का पंजीयन इसी पते पर जनवरी 2021 में किया गया। इससे साफ पता चलता है कि एक ही इमारत दिखाकर बाद में दूसरे अस्पताल का पंजीयन कराया गया है। इसकी शिकायत भी जिला स्वास्थ्य विभाग को की गई है।
लाइफलाइन हास्पीटल के पते पर परमार वाटिका संचालित होती मिली। यह वाटिका सहायक शिक्षक प्रशांत सिंह परमार की है, जिसके ठिकानों पर ईओडब्ल्यू ने पिछले दिनों छापा मारकर आय से अधिक संपत्ति का प्रकरण दर्ज किया था। प्रशांत सिंह परमार ने अपने नर्सिंग कालेजों के लिए इसी पते पर लाइफ लाइन अस्पताल रजिस्टर्ड कराया था और स्वास्थ्य विभाग ने आंखें बंद कर अस्पताल को अनुमति जारी कर दी।
CMHO डा. मनीष शर्मा ने यह बताया
यह सही है कि जिले में नर्सिंग कालेज संचालकों ने फर्जी अस्पताल पंजीकृत कराए हैं। हम चिह्नित कर लगातार ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई कर रहे हैं। जल्द ही एक सूची जारी कर ऐसे अस्पतालों का पंजीयन निरस्त किया जाएगा। ग्वालियर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया GWALIOR NEWS पर क्लिक करें.