केंद्र सरकार अपनी महत्वपूर्ण सूचनाओं को संरक्षित करने के लिए किसी अशासकीय व्यक्ति अथवा उसकी फर्म को नियुक्त कर सकती है। ऐसी स्थिति में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67(ग) की उपधारा(1) के अंतर्गत, नियुक्त किए गए व्यक्ति अथवा संस्थान का कर्तव्य है कि वह सभी सूचनाओं को गोपनीय रखे एवं किसी भी स्थिति में उसे सार्वजनिक ना करें। यदि कर्तव्य का उल्लंघन होता है तो किस प्रकार के दंड का प्रावधान किया गया है, यहां पढ़िए:-
सूचना प्रोधोगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 (ग) की परिभाषा:-
1. केंद्र सरकार की मध्यवर्ती को किसी विशिष्ट वैधानिक सूचनाओं के संरक्षण या प्रतिधारण के लिए नियुक्त करेगा।
2. अगर कोई व्यक्ति जो केंद्र सरकार की ऐसी सूचनाओं का संरक्षण कर रहा है या अपने पास SAVE रखा है, वह जानबूझकर ऐसी सूचनाओं को सार्वजनिक करेगा या अपने कर्तव्य, दायित्व का उल्लंघन करेगा तब वह व्यक्ति धारा 67(ग) के अंतर्गत दोषी होगा।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 (ग) के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध किसी भी प्रकार से समझोता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं। अधिनियम के अनुसार अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति निरीक्षक (इंस्पेक्टर) की नीचे की पक्ति के पुलिस अधिकारी को नहीं हैं। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास एवं जुर्माना से दण्डित किया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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