मिथ्था प्रमाण पत्र बनाकर लाभ लेना या किसी दस्तावेजों का कुटकरण करना भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय 18 के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के अपराधों का वर्णन किया गया है जो संहिता की धारा 463 से धारा 477 तक वर्णित है। लेकिन किसी लाइसेंस या कोई आज्ञा प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए गलत बयान देना या किसी नियंत्रक या प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी के समक्ष जानबूझकर कर गलत जानकारी प्रस्तुत करेगा ऐसा करने वाले व्यक्ति का अपराध किस कानून के अंतर्गत माना जायेगा जानिए।
The Information Technology Act-2000, Section 71 की परिभाषा:-
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर कर किसी नियंत्रक या प्रमाणकर्ता अधिकारी को किसी प्रकार का लाइसेंस (अनुज्ञप्ति) या कोई डिजिटल प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए झूठी जानकारी प्रस्तुत करेगा या महत्वपूर्ण बातें, जानकारी को छिपायेगा तब ऐसा करने वाला व्यक्ति अधिनियम की धारा 71 के अन्तर्गत दोषी होगा।
नोट:- यहाँ अनुज्ञप्ति शब्द का वास्तविक अर्थ हैं किसी भी प्रकार का लाइसेंस प्राप्त या आज्ञा प्रमाण पत्र प्राप्त करना जैसे अविष्कार, पेटेंट, सनद, डिप्लोमा, वाहन, होटल, दुकान आदि की अनुज्ञप्ति।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 71 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध किसी भी प्रकार से समझोता योग्य नहीं है, यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं। अधिनियम के अनुसार अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति निरीक्षक(इंस्पेक्टर) की नीचे की पक्ति के पुलिस अधिकारी को नहीं हैं। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या एक लाख रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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