सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 17 के अनुसार केंद्र सरकार, अधिनियम के प्रयोजनों के लिए नियंत्रक एवं अन्य अधिकारियों की नियुक्ति कर सकती है। अधिनियम की धारा-18 में नियंत्रक के कार्यों का विवरण दिया गया है जो अधिनियम के अंतर्गत बनाये गए विनियमो को लागू करवाने या आदेशों, अधिनियम के नियमों को पूरा करने में सहयोग करते हैं, अगर कोई व्यक्ति इनकी आज्ञा का पालन नहीं करता है तब उसके खिलाफ किस धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा जानिए।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा-68 की परिभाषा:-
• अधिनियम के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा किसी नियंत्रक की किसी कर्मचारी को आदेश मानने या किसी अनुचित कार्य को रोकने या अधिनियम के अंतर्गत बनाये नियम, विनियम के अनुपालन के लिए कोई आदेश दिया जाता है, तब कर्मचारी, नियंत्रक के आदेश, विनियम, निर्देश को जानबूझकर उल्लंघन करते हैं तब ऐसे कर्मचारी अधिनियम की धारा 68 के अंतर्गत दोषी होंगे।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम,2000 की धारा 68 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध समझोता योग्य हो सकते है, यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं। अधिनियम के अनुसार अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति निरीक्षक (इंस्पेक्टर) की नीचे की पक्ति के पुलिस अधिकारी को नहीं हैं। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या अधिकतम एक लाख रुपए जुर्माना हो सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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