जबलपुर। ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक विकास द्विवेदी को 4 अगस्त को कारण बताओ नोटिस दिया गया और 5 अगस्त को बर्खास्त कर दिया गया। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी की एकलपीठ ने पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव, संभागायुक्त जबलपुर, कलेक्टर, जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत के सीईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। किसी कर्मचारी को बिना आरोप पत्र, सुनवाई का अवसर दिए, कोई कलेक्टर कैसे बर्खास्त कर सकता है।
जबलपुर निवासी विकास द्विवेदी ने याचिका दायर कर बताया कि जिला पंचायत सीईओ ने 5 अगस्त, 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी किया। आरोप था कि वह ग्राम पंचायत की बैठक में अनुपस्थित था और उसे कार्य में रुचि नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुशील मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि अगले दिन 5 अगस्त 2021 को सीईओ को जवाब पेश किया गया। सीईओ ने उसी दिन 5 अगस्त को ही कलेक्टर को रिपोर्ट भेजी और कलेक्टर ने उसी दिन (5 अगस्त 2021 को) सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया।
आवेदक ने संभागायुक्त के समक्ष अपील पेश की, जोकि 17 फरवरी, 2022 को खारिज हो गई। अधिवक्ता ने दलील दी कि राज्य सरकार के परिपत्र के अनुसार ऐसे मामले में कलेक्टर को ही कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार है। कलेक्टर तभी सेवा समाप्त कर सकता है जब विधिवत जांच करे, चार्जशीट आवेदक को दे और उसे अपना पक्ष रखने उचित अवसर प्रदान करे। ऐसा नहीं करते हुए कलेक्टर ने एक ही दिन में सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया, जोकि अवैधानिक है। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.