मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता के अध्याय 16 में धारा 205 से 221 तक खातों की चकबन्दी योजना के बारे में बताया गया है। अर्थात भूमि स्वामी के जोतो को एकत्रीकरण करना या ग्राम की समस्त भूमियों या उसके किसी भू भाग के ऐसे पुनः वितरण से है।
क्या है चकबंदी योजना- मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता :-
संहिता की धारा 209 के अनुसार कलेक्टर चकबन्दी योजना को तैयार करेगा एवं ग्राम के एक तिहाई भूमि स्वामी अपनी भूमि या जोतो का एकत्रित अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।
• योजना के अधीन मुआवजा का भुगतान:- चकबन्दी अधिकारी को अगर ऐसा लगता हैं कि चकबन्दी की गई कोई भूमि का बाजार मूल्य या उत्पादी मूल्य उसके मूल खाते या भूमि के बाजार मूल्य की अपेक्षा कम है तब चकबंदी योजना के अंतर्गत भूमिस्वामियो को मुआवजे का भुगतान किया जाएगा।
• कब्जा की प्राप्ति:- चकबन्दी योजना पूरी हो जाने के बाद सभी भूमिस्वामी योजना के अधीन आवंटित किए गए जोतो का कब्जा लेने के लिए सहमत होते हैं तो चकबन्दी अधिकारी चकबन्दी योजना में नियत दिनांक से उन्हें कब्जा प्रदान करेगा।
• संहिता की धारा 213 चकबंदी भूमिस्वामियो को उनके खातों में के अधिकारों का अन्तरण करने का अधिकार प्रदान करती है। लेकिन भूमिस्वामियो को खातों की चकबन्दी की कार्यवाही के समय मूल खातों या किसी भाग को अन्तरण करने का अधिकार नहीं है(धारा 218)।
• भूमिस्वामियो की भूमि कलेक्टर द्वारा चकबन्दी योजना के अंतर्गत निहित हो गई है तब भी भूमिस्वामियो के अधिकार अपने पूर्वत मूल खाते में बने रहेंगे(धारा 219)।
• अगर किसी बंधक भूमि का चकबन्दी योजना के अंतर्गत अधिकार प्राप्त हो गया है तब चकबन्दी अधिकारी ऐसे भूमि को बन्धनकर्ता से वारण्ट के माध्यम से भूमि को अधिकार दिलवाएगा (धारा 220 उपधारा 1,2)।
अर्थात हम कह सकते हैं कि ग्राम के भूस्वामियों की ऐसी भूमि जो छोटे छोटे भागों में है ग्राम के लोगो द्वारा उनकी चकबन्दी करवाना या एकत्रित करवा कर पुनः वितरण प्राप्त करना खातों की चकबन्दी होता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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