जबलपुर। मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग में कार्यरत 37,000 कोटवारों की वर्दी के मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है। उच्च न्यायालय ने कबीर हथकरघा बुनकर समिति, जबलपुर के संचालक मोहम्मद रफीक अंसारी की याचिका को अनुचित मानते हुए निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही सभी कोटवारों को उनकी वर्दी का पैसा उनके बैंक अकाउंट में डायरेक्ट ट्रांसफर होने का रास्ता साफ हो गया है।
न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता यश सोनी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि कबीर हथकरघा बुनकर समिति, जबलपुर के संचालक मोहम्मद रफीक अंसारी द्वारा दायर याचिका अनुचित है। ऐसा इसलिए क्योंकि याचिकाकर्ता अपना फायदा देख रहा है। जबकि मुख्य राजस्व आयुक्त, मध्य प्रदेश शासन ने व्यापक हित को मद्देनजर रखकर निर्णय लिया है। यह निर्णय मध्य प्रदेश भंडार कराया तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 के विपरीत हाेने की दलील भी बेमानी है। वास्तविकता यह है कि मध्य प्रदेश शासन द्वारा पारित आदेश समस्त कोटवारों के लिए अत्यंत लाभकारी होगा।
ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व में उन सभी की वर्दी बनाना, सही नाप की बनाना, सही समय पर देना, कपड़े की क्वालिटी सही होना आदि बिंदुओं पर ध्यान देना मशक्कत भरा कार्य था। अब खाते में सीधा पैसा जमा करने से प्रदेश के समस्त कोटवार अपनी सुविधा अनुसार वर्दी ख़रीद लेंगे। इसे लेकर निजी हित बाधित होने का तर्क बेमानी है।
हाईकोर्ट ने शासन के पक्ष से सहमत होते हुए कबीर हथकरघा बुनकर समिति, जबलपुर के संचालक मोहम्मद रफीक अंसारी की याचिका को निरस्त कर दिया। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण समाचारों के लिए कृपया karmchari news पर क्लिक करें.