मध्यप्रदेश में प्ले स्कूलों का सिलेबस एवं मान्यता के नियम घोषित- MP NEWS SCHOOL

Syllabus and recognition rules of play schools in Madhya Pradesh

भोपाल। मध्यप्रदेश में शाला पूर्व शिक्षा नीति 2022 लागू कर दी गई है। इसके साथ ही प्रदेश में संचालित 72000 से अधिक प्ले स्कूल, प्री-नर्सरी, केजी, किंडन गार्टन के लिए नए नियम लागू हो गए हैं। इससे पहले तक मध्यप्रदेश में प्रीस्कूल पर कोई नियम लागू नहीं था।

Madhya Pradesh Pre School Education Policy 2022

मध्यप्रदेश शाला पूर्व शिक्षा नीति 2022 के तहत प्री-नर्सरी, नर्सरी, प्ले स्कूल, किंडन गार्टन, केजी कक्षाएं एवं इस प्रकार के शैक्षणिक संस्थान संचालित करने के लिए मान्यता लेनी जरूरी होगी। बिना मान्यता ये केंद्र चलते पाए गए, तो संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसी पॉलिसी के तहत सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में प्ले स्कूल संचालित किए जाएंगे जिसमें 3-6 साल के बच्चों को ट्रेनिंग एवं एजुकेशन दी जाएगी। 

मध्यप्रदेश में प्ले स्कूलों को मान्यता कौन देगा

नई व्यवस्था में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी प्री-नर्सरी, केजी, किंडर गार्टन स्कूलों को मान्यता देंगे। विभाग ने इन अधिकारियों को नोडल बनाया है। ये ही औचक निरीक्षण और कार्रवाई भी करेंगे।

मध्यप्रदेश में प्ले स्कूलों का सिलेबस

यह अनौपचारिक शिक्षा रहेगी। बहुआयामी एवं बहुस्तरीय गतिविधियों के तहत खेल, खोज आधारित शिक्षा (अक्षर ज्ञान, भाषा, संख्या, गिनती, रंग, आकार, इंडोर-आउटडोर खेल, पहेलियां और तार्किक सोच, समस्या सुलझाने की कला, चित्रकला, पेंटिंग, अन्य दृश्य कला, शिल्प, नाटक, कठपुतली, संगीत सहित अन्य) को शामिल किया है। इसमें सामाजिक कार्य, मानवीय संवेदना, अच्छे व्यवहार, शिष्टाचार, नैतिकता, व्यक्तिगत स्वच्छता, समूह में कार्य करना और आपसी सहयोग को विकसित करने पर ध्यान दिया जाएगा।

इन पर लागू होंगे नियम

आंगनबाड़ी केंद्र, शिशुगृह, प्ले स्कूल, शाला पूर्व शिक्षा केंद्र, नर्सरी स्कूल, किंडर गार्टन, प्रारंभिक स्कूल, बालबाड़ी और गृह आधारित देखरेख केंद्रों पर इस नीति के नियम लागू होंगे। इस अवधारणा में देखभाल, पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा का समावेश रहेगा।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रीस्कूल टीचर की ट्रेनिंग दी जाएगी

मध्य प्रदेश प्रीस्कूल एजुकेशन पॉलिसी 2022 का उद्देश्य बच्चों को पहली कक्षा के लिए बुनियादी तौर पर तैयार करना है। इन्हें बाल संस्कार केंद्र, शिशु विकास केंद्र या नर्सरी केंद्र के नाम से संचालित किया जाएगा। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में अतिरिक्त कक्ष बनाए जाएंगे, जिन्हें स्कूल की कक्षा की तरह डिजाइन किया जाएगा। पढ़ाने के लिए शिक्षक रखे जाएंगे और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। सरकार करीब पांच साल से नीति तैयार कर रही थी, जो अब लागू की गई है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.

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