भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य परिवहन विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग की तरह अब उच्च शिक्षा विभाग भी समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। कुछ सालों बाद मध्य प्रदेश सरकार, कॉलेजों का संचालन नहीं करेगी बल्कि केवल प्राइवेट यूनिवर्सिटी को मंजूरी और कॉलेजों को मान्यता देने का काम करेगी। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। अगले शिक्षा सत्र में कॉलेजों में सीटों की संख्या नहीं बढ़ाई जाएगी।
डॉक्टर धीरेंद्र शुक्ला, विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, उच्च शिक्षा के अनुसार नए सेशन के लिए एडमिशन की दिशा में तैयारी चल रही है। हायर सेकेंडरी के रिजल्ट के हिसाब से इसकी शेड्यूलिंग होगी। इस बार सीट संख्या यथावत ही रहेगी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पिछले साल यूजी में 10,30,633 सीटें घोषित की थी। पिछले साल सभी कॉलेज और डिग्री कोर्स में सीटें बढ़ाई गई थीं लेकिन मात्र 4.75 लाख स्टूडेंट नहीं एडमिशन लिया। यानी कि 50% से ज्यादा सीटें खाली रह गई।
मुद्दे की बात पॉइंट टू पॉइंट
हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट का टारगेट ना केवल अपने राज्य के बल्कि दूसरे राज्यों के विद्यार्थियों को भी आकर्षित करना है।
यदि स्टूडेंट्स एडमिशन नहीं ले रहे तो यह यूनिवर्सिटी का फेलियर है। यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट में सुधार की जरूरत है।
मध्यप्रदेश में एक भी यूनिवर्सिटी ऐसी नहीं है जिसमें देश भर के स्टूडेंट एडमिशन के लिए लाइन लगाते हो।
सीटों की संख्या कम कर देने से केवल एक डॉक्यूमेंट में फैलियर नहीं दिखाई देगा, लेकिन ऐसा करने से गवर्नमेंट प्राउड फील नहीं कर सकती।
मध्यप्रदेश में हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट की सबसे बड़ी प्रॉब्लम पॉलिटिक्स है। हालात यह है कि उच्च शिक्षा मंत्री भी अपनी मर्जी से एक प्रोफेसर का ट्रांसफर नहीं कर सकता।
सरकार ने कॉलेजों में स्टूडेंट्स के बीच पॉलिटिक्स तो खत्म कर दी लेकिन प्रोफेसर की पॉलिटिक्स कब खत्म होगी। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.