भोपाल। ग्रेटर भोपाल (यानी भोपाल शहर, सीहोर, रायसेन और राजगढ़ जिले का कुछ हिस्सा) में तनाव की कोई स्थिति नहीं है। कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने एक बयान जारी करके ना केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को धिक्कारा बल्कि एक ऐसे सब्जेक्ट हो मुद्दा बनाने की कोशिश की जो मूल रूप से विवाद का विषय ही नहीं है। आइए हम बताते हैं कि रायसेन के किले पर स्थित शिव मंदिर में ताले कह रहे थे क्या है, और क्यों कथा वाचक प्रदीप मिश्रा इसके लिए आंदोलित हो गए।
रायसेन के किले पर स्थित शिव मंदिर की कहानी एवं ताले का रहस्य
बताने की जरूरत नहीं, कुछ विद्यार्थी पीएचडी कर चुके हैं। रायसेन के किले पर स्थित सोमेश्वर धाम शिव मंदिर 10 वीं शताब्दी में परमार राजा उदयादित्य ने बनवाया था। किले के अंदर 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण कार्य 11वीं शताब्दी में पूरा हुआ। राजवंश के लोग इस संबंध में नियमित रूप से पूजा पाठ किया करते थे। सन 1543 तक इस मंदिर में नियमित पूजा होती रही। रायसेन के राजा पूरणमल एक युद्ध में शेरशाह से हार गए। रायसेन का किला शेरशाह के कब्जे में चला गया।
रायसेन किले पर स्थित शिव मंदिर के ताले कब खुले थे
शेरशाह ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का फरमान जारी किया। कारीगरों ने बड़ी ही चतुराई के साथ शिवलिंग को हटाकर मस्जिद बना दी लेकिन गर्भ ग्रह के ऊपर श्री गणेश की प्रतिमा और अन्य चिन्ह छोड़ दिए ताकि भविष्य में यह स्पष्ट हो जाएगी यह निर्माण कार्य मूल रूप से एक मंदिर है। ऐसा हुआ भी। आजादी के बाद सन 1974 में रायसेन में इस मंदिर को लेकर एक बड़ा आंदोलन हुआ। मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ने स्वयं जाकर मंदिर के ताले खुलवाए। क्योंकि मंदिर किले पर स्थित है, प्राचीन महत्व का है, 10 वीं शताब्दी का शिवलिंग स्थापित है इसलिए उसकी देखभाल का काम पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया।
रायसेन के किले पर महाशिवरात्रि मेले की कहानी
रायसेन के तत्कालीन कलेक्टर केके अग्रवाल ने आंदोलनकारियों की इच्छा के अनुसार घोषित किया कि शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया जाएगा। तब से लेकर अब तक हर साल की शिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और मेले के दौरान शिव मंदिर के ताले खुले रहते हैं। पुरातत्व विभाग का कहना है कि किले पर आने वाले पर्यटकों की संख्या इतनी अधिक नहीं होती कि मंदिर के पट नियमित रूप से खोले जाएं और एक पुजारी की नियुक्ति की जाए। यदि पर्यटकों की संख्या बढ़ जाएगी तो मंदिर की देखभाल के लिए स्टाफ नियुक्त कर दिया जाएगा। कुल मिलाकर कोई विवाद नहीं है।
रायसेन किले के शिव मंदिर को लेकर कथावाचक प्रदीप मिश्रा क्यों भड़क गए
दरअसल प्रदीप मिश्रा पिछले कुछ समय से सुर्खियों में है। हाल ही में सरकार के एक मंत्री ने उनके सामने सरेंडर किया था। शायद उन्हें हेडलाइंस में अपना नाम देखना पसंद आ गया है। शायद वह सरकार पर दबाव बनाए रखना चाहते हैं। शायद वह भारतीय जनता पार्टी की आंतरिक राजनीति का हिस्सा बन गए हैं। उपरोक्त के अलावा कोई भी कारण हो सकता है लेकिन यह नहीं माना जा सकता कि प्रदीप मिश्रा को रायसेन के किले के शिव मंदिर की पूरी कहानी पता ना हो। उनके बयान ने जनता के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति असंतोष पैदा किया है, क्योंकि ताला तो पहले से ही खुला है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.