जबलपुर। मध्य प्रदेश पुलिस के क्राइम रिकॉर्ड में यह अपनी तरह का अलग ही फर्जीवाड़ा है। 10 साल पुराने एक मामले में जब बचाव का कोई रास्ता नहीं रहा तो अपराधियों ने अपनी जगह दूसरे लोगों को कोर्ट में खड़ा कर दिया। कोर्ट ने सजा सुना दी और पुलिस ने उन्हें पकड़ कर जेल में बंद कर दिया। किसी को पता ही नहीं चला कि असली अपराधी खुले घूम रहे हैं और जो जेल में बंद है वह तो भाड़े के कैदी हैं।
कोमल प्रसाद अपराधी नहीं है तो फिर कोर्ट क्यों गया था
मामला मंडला जिले का है। एक शख्स ने बुधवार को जबलपुर एसपी से शिकायत की, तो हड़कंप मच गया। कोमलप्रसाद पांडे (45) निवासी सिहोरा अपने पत्नी के साथ एसपी ऑफिस पहुंचा। यहां एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा से शिकायत की। कोमल प्रसाद पांडे ने एसपी को बताया कि उसे एक परिचय ने अपने पिता की जगह कोर्ट में पेशी पर खड़ा होने के लिए भेजा था। उसी दिन कोर्ट ने सजा सुना दी। पुलिस ने पकड़ कर जेल में डाल दिया। 84 दिन जेल में रहने के बाद हाई कोर्ट से जमानत मिली, तब कहीं जाकर बाहर निकल पाया।
सन 2011 में शासन से धोखाधड़ी और कूटरचना का मामला दर्ज हुआ था
मामला सितंबर 2011 का है। मंडला जिले में स्थित कान्हा किसली के करीब वन विभाग के टोल का ठेकेदार अमित खम्परिया और अन्य पार्टनर के नाम पर ठेका था। यहां पर्यटकों से ज्यादा वसूली की जाती थी। बाद में अधिक शुल्क को मार्कर से मिटा कर सही पैसे लिख दिए जाते थे। इसकी शिकायत पर तत्कालीन खटिया थाने के टीआई ने 8 सितंबर 2011 को धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था।
10 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया
मामले में पुलिस ने अमित खम्परिया, उसके पिता अनिरुद्ध सिंह चतुर्वेदी, मौसा रामजी द्विवेदी और रिश्तेदार दशरथ प्रसाद तिवारी समेत रज्जन, उमेश पांडे, अमित पांडे, श्रीकांत शुक्ला, शनि ठाकुर, अजय वाल्मिकी को आरोपी बनाया। 10 साल तक मंडला जिले की नैनपुर कोर्ट में केस चला। 22 सितंबर 2021 को कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने आरोपियों को पांच-पांच साल की सजा और जुर्माना लगाया।
मंडला पुलिस ने क्या गलती की
22 सितंबर 2021 को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश डीआर अहिरवार की कोर्ट में रिकॉर्ड के अनुसार अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी (70) निवासी टिकुरी उमरिया, रामजी द्विवेदी (66) निवासी सोनवारी मैहर सतना और दशरथ प्रसाद तिवारी (60) निवासी टिकुरी उमरिया ही पेश हुए। अभियुक्तों में उमेश पांडे की मौत हो चुकी है, जबकि 6 अन्य फरार थे। सजा निर्धारित होने के बाद पुलिस ने तीनों को जेल में डाल दिया। इससे पहले किसी का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन नहीं किया गया।
अपराधियों की जगह, निर्दोष लोगों को कोर्ट में खड़ा कर दिया गया था
मामले में आरोपी अमित खम्परिया ने यहीं पर खेल कर दिया। उसने पिता अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी समेत तीनों को बचाने के लिए साजिश रची। पिता अनिरुद्ध की जगह कोमल प्रसाद पांडे (45) निवासी सिहोरा, रामजी द्विवेदी की जगह श्यामसुंदर खम्परिया और दशरथ प्रसाद तिवारी के बजाय विराट तिवारी निवासी ग्वारीघाट को कोर्ट में पेश कर दिया। चूंकि मामला 10 साल पुराना था, तो पुलिस ने भी तस्दीक नहीं की।
मामले का खुलासा कैसे हुआ
विराट तिवारी को अमित खम्परिया स्टैंड में काम देता है। वर्तमान में वह शहपुरा टोल नाका में काम कर रहा है। इसी तरह, श्यामसुंदर खम्परिया उसका रिश्तेदार है। कोमल प्रसाद पांडे को उसने ब्राम्हण महासभा में जोड़ रखा था। हालांकि पिता के स्थान पर कोमल प्रसाद को धोखे से और धमका कर पेश किया था। ऐसा कोमल प्रसाद पांडे ने एसपी को शिकायत करते हुए पूरे खेल का भंडाफोड़ किया है।
ट्रेनी आईपीएस प्रियंका शुक्ला इन्वेस्टिगेशन करेंगी
एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने बताया कि ये प्रकरण गंभीर है। किसी को धमका कर दूसरे के स्थान पर जेल में भिजवाना गंभीर बात है। पूरे प्रकरण की जांच ट्रेनी आईपीएस सीएसपी बरगी प्रियंका शुक्ला करेंगी। मंडला पुलिस को भी इसकी जानकारी देंगे। वे अपने स्तर पर अलग से इसकी जांच कराएं। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.