जबलपुर। डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती घोटाले में इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं करने पर हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट ऑफ मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई की।याचिका सागर के रहने वाले अरविंद भट्ट ने दायर की थी। याचिका में कहा गया कि नियुक्तियों में गड़बड़ी की रिपोर्ट के बावजूद, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसलिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। आरोप यह था कि विश्वविद्यालय द्वारा 2013 में विज्ञापित 87 पदों के खिलाफ 157 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की गई थी। मामले की सीबीआइ द्वारा जांच की गई और कई प्राथमिकी दर्ज की गईं। विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति को भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
वर्ष 2018 में हाई कोर्ट ने नियमितिकरण के लिए उन 80 सहायक प्रोफेसरों द्वारा दायर याचिका को निरस्त कर दिया था। परिवीक्षा पर रहे उक्त सहायक प्राध्यापकों ने दावा किया था कि विश्वविद्यालय अधिनियम का अध्यादेश 14 उन्हें सहायक प्रोफेसर के रूप में पुष्टि का अधिकार देता है। उस दौरान भी विश्वविद्यालय की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि नियुक्तियों में घोर अनियमितताएं हैं। याचिका निरस्त करते हुए हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय को दो माह में नियुक्तियों की जांच पूरी करने के लिए भी कहा था। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.