MP specific Corrupt Practices Prevention Act,1982
जनता से टैक्स लगाकर वसूले गए धन (जिसे सरकारी कोष कहा जाता है) के दुरुपयोग के मामले मध्य प्रदेश के हर गांव में मिल जाते हैं। इनकी शिकायतें भी होती है परंतु शिकायत नियमानुसार नहीं होती इसलिए कार्यवाही भी नियम अनुसार नहीं होती। यहां पढ़िए, गलत बिल पेमेंट करने, फर्जी मस्टर रोल बनाने और इसी प्रकार के कई आर्थिक अपराधों के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारी के खिलाफ इस कानून के तहत शिकायत की जानी चाहिए और शिकायत में किस धारा के तहत अधिकारी को दंडित करने का निवेदन करना चाहिए।
मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम,1982 की धारा 6 की परिभाषा:-
जो कोई व्यक्ति किसी निर्माण कार्य का भारसाधक अधिकारी (देख-रेख अधिकारी, सुपरवाइजर, दरोगा आदि) होते हुए जानबूझकर -
• झूठा एवं बनावटी मस्टर रोल बनाएगा या कोई बनावटी बिल बनवाकर भुगतान करेगा।
• झूठी या बनावटी माप पुस्तक बनाएगा।
• झूठी या बनावटी गलत जानकारी देकर रेत, गिट्टी, मिट्टी आदि का ज्यादा भुगतान करेगा या स्वंय के फायदे के लिए उच्च दर पर भुगतान करेगा या झूठा बनावटी भुगतान करवाएगा।
• जानबूझकर कर अत्यधिक अनुचित लाभ के लिए नियम, आदेशों का उल्लंघन कर ओवर पेमेन्ट करेगा।
"उपर्युक्त कृत्य करने वाला व्यक्ति अधिनियम की धारा 06 के अंतर्गत दोषी होगा।
मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम,1982 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं, पुलिस अधिकारी, आरोपी को बिना वारण्ट के गिरफ्तार करने की शक्ति रखता है【अधिनियम की धारा 39 (1) के अनुसार】, लेकिन थाने में एफआईआर करवाने से पूर्व राज्य सरकार या प्राधिकृत अधिकारी की मंजूरी (अनुमति) होना आवश्यक है। इन अपराधों की सुनवाई का अधिकार सत्र न्यायालय को हैं। सजा-इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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