भोपाल। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड भोपाल के पूर्व चेयरमैन आईसीपी केसरी ने शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग 3 के वायरल स्क्रीनशॉट मामले में शुचिता और पारदर्शिता का संकल्प दोहराते हुए पूर्ण जांच कराने का ऐलान किया था और रिटायर होने से पहले दावा किया कि जो स्क्रीनशॉट वायरल हुआ है वह पेपर खत्म होने के बाद कैप्चर किया गया था, लेकिन उम्मीदवारों ने दावा किया है कि वायरल स्क्रीनशॉट, पेपर शुरू होने से पहले लिया गया था।
MP PEB शिक्षक परीक्षा घोटाला- कैसे मान लें कि स्क्रीनशॉट पेपर शुरू होने से पहले लिया गया था
अपने दावे के समर्थन में पन्ना के उम्मीदवार राजकुमार कुशवाहा ने बताया कि ऑनलाइन पेपर के समय जब किसी प्रश्न को हल किया जाता है स्क्रीन पर सबसे नीचे जहां प्रश्न क्रमांक नजर आते हैं, प्रश्न क्रमांक का कलर चेंज हो जाता है जो हल कर दिया गया है। वायरल स्क्रीनशॉट में नीचे सभी प्रश्न क्रमांक नीले रंग के दिखाई दे रहे हैं। जो इस बात को प्रमाणित करता है कि एक भी प्रश्न हल नहीं किया गया। यानी कि वायरल स्क्रीनशॉट पेपर शुरू होने के पहले लिया गया था।
व्यापम घोटाला- परिवहन मंत्री के बेटे और कर्मचारी लक्ष्मण सिंह के मोबाइल की जांच क्यों नहीं करते
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब शक की सुई परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे पर आकर टिक गई है और कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि लक्ष्मण सिंह, उसी कॉलेज के कर्मचारी का नाम है। तो फिर क्या कारण है कि दोनों के मोबाइल फोन जब करके उसकी फॉरेंसिक जांच नहीं कराई जा रही है। सिर्फ मोबाइल फोन की जांच करने के लिए किसी FIR की भी जरूरत नहीं है। केवल एक लिखित शिकायत काफी है।
मध्य प्रदेश के 1000000 युवा खुद को शिक्षक भर्ती घोटाले का पीड़ित मान रहे हैं
सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपने माथे से व्यापम घोटाला 2022 का दाग मिटाने के लिए कुछ ऐसे कदम उठाने पड़ेंगे जो आम जनता के बीच यह प्रमाणित करें कि यह घोटाला नहीं है और इसमें मुख्यमंत्री सहित किसी भी मंत्री का कोई हाथ नहीं है। याद रखिए, सरकारी कागजों में लिखा पढ़ी करने से सरकारी जांच की प्रक्रिया तो बंद हो जाएगी परंतु 1000000 उम्मीदवार खुद को घोटाले का पीड़ित मानते रहेंगे। चुनाव के समय यह अच्छी बात नहीं है।मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया mp news पर क्लिक करें.