धमकी से डरे हुए अधिकारी द्वारा किया गया भ्रष्टाचार, कौन दोषी, कितनी सजा, पढ़िए- PC Act, 1988

Bhopal Samachar
कई बार जब अधिकारी किसी भी प्रकार के लालच में गलत काम को करने से इंकार कर देता है तो कुछ दबंग लोग अवैध हथियारों की दम पर या फिर अन्य प्रकार से धमकी देकर अधिकारी को वह गलत काम करने के लिए विवश कर देते हैं। आइए पढ़ने की इस तरह के भ्रष्टाचार के लिए किसे दोषी माना जाएगा और किस कानून के तहत दंड का प्रावधान किया गया है।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 (क) की परिभाषा:-

कोई व्यक्ति किसी शासकीय सेवक से भ्रष्ट, निजी प्रभाव (धमकी, उत्प्रेरण आदि) या अवैध साधनों-(बंदूक, चाकू या की अवैध हथियार) से डरा धमकाकर किसी कार्य को करवाएगा या करवाने की कोशिश करेगा या उसे अपने कर्तव्यपालन, दायित्व को निभाने से रोकेगा या रोकने का प्रयत्न मात्र करेगा तब ऐसा करने वाला व्यक्ति अधिनियम की धारा 7(क) के अंतर्गत दोषी होगा।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा 7(क) के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय हैं, इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को होता है सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम सात वर्ष की कारावास एवं जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।

उधानुसार:- शहर का दबंग नेता किसी पुलिस अधिकारी को कॉल पर धमकी देता की की वह संबंधित मामले की रिपोर्ट दर्ज न करे एवं अगर वह ऐसा करता है तो उसे गंभीर चोट पहुंचा दी जाएगी। ऐसा करने वाला दबंग नेता इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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