information technology act, Duties of Government Employees and penal provisions
केंद्रीय सरकार देश में साइबर सुरक्षा बढ़ाने और कम्प्यूटर की वायरस पहचान, विश्लेषण और अनधिकार प्रवेश या फैलाव को रोकने के लिए, किसी कम्प्यूटर संसाधन में निर्मित, भेजे,प्राप्त या एकत्रित आँकड़े या सूचनाओं की निगरानी करने के लिए सरकार किसी भी अधिकारी को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69(ख) के अंतर्गत प्राधिकृत कर सकती है।
मध्यवर्ती या किसी कम्प्यूटर के भारसाधक व्यक्ति (चाहे वो कोई भी हो) का कर्त्तव्य है कि वह प्राधिकृत अधिकारी द्वारा जब मांग की जाती है तब, उपर्युक्त जानकारी उपलब्ध करवाएगा, जो कम्प्यूटर में एकत्रित की गई है या HDD में SAVE रखी गई है।
अगर कोई मध्यवर्ती या कम्प्यूटर का भारसाधक अधिकारी जानबूझकर सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी को सूचना नहीं देता है या गलत जानकारी उपलब्ध करवाता है या उपर्युक्त नियमों का उल्लंघन करता है तब वह अधिनियम की धारा 69(ख) की उपधारा (4) के अंतर्गत दोषी होगा।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 (ख) की उपधारा (4) के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध किसी भी प्रकार से समझोता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं। अधिनियम के अनुसार अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति निरीक्षक(इंस्पेक्टर) की नीचे की पक्ति के पुलिस अधिकारी को नहीं हैं। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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