सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अंतर्गत किसी नियम, विनियमों आदि की किसी फाइल, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज, पुस्तक, रजिस्टर, पत्राचार, सूचना, अभिलेख या अन्य सामग्री को कम्प्यूटर में SAVE रखा जाता है एवं इनकी सुरक्षा के लिए एक भारसाधक अधिकारी भी समुचित सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। अगर कोई व्यक्ति बिना अनुमति के उपर्युक्त फाइलों या दस्तावेज तक पहुँचेगा तब यह कब अपराध की श्रेणी में आएगा जानिए।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 72 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या बिना अनुमति के कम्प्यूटर सिस्टम में SAVE सरकार की गोपनीयता, एकांतता को भंग करने वाली कोई फाइल, दस्तावेज, अभिलेख, पुस्तक, रजिस्टर, पत्राचार, सूचना, या कोई अन्य सामग्री को बिना अनुमति के प्राप्त करता है या ऐसी सूचना प्रकट अर्थात प्रकाशित करता है तब ऐसा करने वाला व्यक्ति अधिनियम की धारा 72 के अंतर्गत दोषी होगा।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 72 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं। अधिनियम के अनुसार अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति निरीक्षक (इंस्पेक्टर) की नीचे की पक्ति के पुलिस अधिकारी को नहीं हैं। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या एक लाख रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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