भोपाल। सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा शुरू से ही विवादित रही। आज लोक सेवा आयोग ने फिर दिव्यांग आरक्षण मामले में पुनरीक्षित विज्ञापन जारी किया। जैसा कि विदित है की ये भर्ती जबसे आई है, 2017 से, तब से लगातार विवादित रही है। विज्ञापन निकलने से दो दर्जन से ज्यादा बार संशोधन किया गया था।
आज फिर पीएससी ने एक बड़े संशोधन के लिए रोस्टर सिस्टम जारी किया है। इस भर्ती की विसंगतियों को लेकर अतिथि विद्वानों ने न्यायलय में गुहार लगाई थी। आज भी अतिथि विद्वानों की लड़ाई इस भर्ती के खिलाफ़ जारी है। अब देखने वाली बात है की इस रोस्टर से 2 से 3 वर्ष तक नौकरी कर चुके कई असिस्टेंट प्रोफेसर बाहर होंगे तो कई अंदर होंगे।
डॉ आशीष पांडेय, मीडिया प्रभारी अतिथि विद्वान महासंघ का कहना है कि जबसे सहायक प्राध्यापक भर्ती का ये विज्ञापन आया था तबसे अतिथि विद्वान इस बड़े घोटाले के खिलाफ़ सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ाई लड़े थे और आज भी लड़ रहे हैं।विज्ञापन निकलने से सैकड़ों बार इसमें संशोधन किया गया था। पूरी भर्ती प्रक्रिया ही संदेहास्पद है।
अगर वास्तव में शिवराज सरकार घोटाले के खिलाफ़ है तो इस विवादित भर्ती को तत्काल निरस्त कर उच्च स्तरीय जांच करवाए और मध्य प्रदेश के मूल निवासी रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से सेवा देते आ रहे अतिथि विद्वानों को नियमित कर वादा निभाए। अतिथि विद्वानों की भर्ती पूरी पारदर्शिता के साथ होती है इसे खुद मुख्यमंत्री जी 16 दिसंबर 2019 को शाहजहानी पार्क भोपाल आंदोलन में आकर बोल चुके हैं।