सबसे छोटे बल्ब को जीरो वाट का बल्ब क्यों कहते हैं, जबकि वह 5-15 वाट का होता है- GK in Hindi

Bhopal Samachar
अपन सभी जानते हैं कि जीरो वाट का बल्ब नहीं हो सकता, क्योंकि यदि बल्ब जीरो वाट का होगा तो उसमें से रोशनी निकलेगी ही नहीं। अपन यह भी जानते हैं कि जिस वाट को बाजार में जीरो वाट का बल्ब कहकर बेचा जाता है असल में वह 5-15 वाट का होता है। सवाल यह है कि फिर उसे जीरो वाट का बल्ब क्यों कहते हैं। 

जीरो वाट का बल्ब सबसे कम रोशनी देता है। यदि उसे 5 वाट के सामान्य बल्ब के साथ लगाकर जलाया जाए तब भी उसकी रोशनी कम होती है। यह इसलिए होता है क्योंकि जीरो वाट के बल्ब का जो कवर होता है। वह ट्रांसपेरेंट नहीं होता। कलर की एक मोटी परत रोशनी को बाहर निकलने से रोकती है। लोगों को लगता है कि 0 वाट का बल्ब जलाने से बिजली का बिल नहीं आता, जबकि ऐसा नहीं है। मीटर चेक करके देख लीजिए। 

5-15 वाट के बल्ब को जीरो वाट का बल्ब इसलिए कहते हैं क्योंकि जब इस बल्ब का आविष्कार किया गया तब लोगों के घरों में जो एनालॉग पावर मीटर लगे होते थे, उनका चक्का 15 वाट तक की बिजली खर्च होने पर घूमना शुरू ही नहीं होता था। यानी कि यदि आप पूरे घर की बिजली बंद कर देंगे और एक जीरो वाट का बल्ब जलाएंगे तो उस जमाने में बिजली का बिल नहीं आता। 

यहां ध्यान देना जरूरी है कि यदि घर में 4 जीरो वाट के बल्ब जल रहे हैं तो उस जमाने में भी बिजली का मीटर घूम जाता था। यदि कोई दूसरा बिजली का उपकरण चल रहा है तो अकेला जीरो वाट का बल्ब लोगों के थोड़े पैसे तो खर्च करवा ही देता था। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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