जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन के वित्त सचिव, तकनीकी शिक्षा संचालनालय, प्राचार्य पॉलिटेक्निक कॉलेज जबलपुर और जिला पेंशन अधिकारी सहित अन्य को नोटिस जारी करके पूछा है कि जब एक कर्मचारी को तदर्थ अवधि की पेंशन दी जा रही है तो फिर दूसरे कर्मचारी को क्यों नहीं।
न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अवधेश कुमार तिवारी की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता शासकीय पालीटेक्निक कालेज, जबलपुर से 30 अप्रैल, 2021 को सहायक ग्रेड-थ्री के रूप में सेवानिवृत्त हुआ।
चूंकि उसने छह अप्रैल, 1989 से दो दिसम्बर, 2004 तक तदर्थ सेवा दी थी, अत: इस अवधि को पेंशन में जोड़ने का दावा किया। पूर्व में इस आशय का भरोसा भी दिलाया गया था। लेकिन पेंशन निर्धारित करते समय यह अवधि दरकिनार कर दी गई।
2 दिसम्बर, 2004 से 30 अप्रैल, 2021 तक की सेवाओं के आधार पर ही पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। जबकि शासकीय पालीटेक्निक कालेज, बैतूल से सेवानिवृत्त राजेश दुबे नामक व्यक्ति को तदर्थ अवधि जोड़कर पेंशन प्रदान की जा रही है। इसी भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।