जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी भोपाल में पदस्थ असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस वीरेंद्र कुमार मिश्रा को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का आदेश दिया है। यह आदेश 17 साल पहले अपनी जान जोखिम में डालकर 8 डकैतों को जिंदा गिरफ्तार करने के लिए दिया गया है।
मध्यप्रदेश में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन की प्रक्रिया बंद हो गई है परंतु हाई कोर्ट ने कहा है कि 30 दिन के भीतर ग्रह विभाग मंत्रालय एवं पुलिस मुख्यालय उचित आदेश जारी करें एवं प्रावधान ना होने की बात कह कर मामले को टाला ना जाए। पुलिस अधिकारी वीरेंद्र कुमार मिश्रा द्वारा 31 मई 2005 से उप निरीक्षक से निरीक्षक के पद पर पदोन्नति व तदनुसार वरिष्ठता का लाभ की मांग की थी।
याचिकाकर्ता हबीबगंज भोपाल में एसीपी के रूप में पदस्थ वीरेन्द्र कुमार मिश्रा की ओर अधिवक्ता पंकज दुबे व रितिका गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता मध्य प्रदेश पुलिस में सब-इन्स्पेक्टर के पद पर भर्ती हुआ था। जबलपुर जिले के थाना बेलखेड़ा में पदस्थापना के दौरान उन्होंने बड़े ही साहस के साथ हिरन नदी को पार करके आठ डकैतों को गिरफ्तार किया था। इस दौरान उनकी नाव भी डूब गई थी।
इस घटना के फलस्वरूप उन्हें 31 मई, 2005 को आउट आफ टर्न प्रमोशन, उपनिरीक्षक से निरीक्षक देने का राज्य शासन ने आदेश जारी किया लेकिन शासन के आदेश के पालन में पुलिस मुख्यालय द्वारा प्रमोशन का आदेश जारी नहीं किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया कि इसके बावजूद याचिकाकर्ता वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने पूरी निष्ठा और बहादुरी के साथ कर्तव्य का पालन किया और 2007 में एक बार फिर अपनी जान का जोखिम लेते हुए नक्सलवादियों को गिरफ्तार किया।
2007 की बहादुरी के बदले पुलिस रेगुलेशन 70(क) के तहत वीरेंद्र कुमार मिश्रा को सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर के पद पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया। इसके बाद विभागीय पदोन्नति प्राप्त हुई और वीरेंद्र कुमार मिश्रा डीएसपी के पद पर पदस्थ हैं।