जब किसी समन मामलों में अपराध के आरोपी को मजिस्ट्रेट बुलाता है या उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित किया जाता है तब आरोपी व्यक्ति को अपराध के बारे में पता नहीं होता है क्योंकि समन संक्षिप्त रूप से बना जाता है जिसने ज्यादातर कानूनी भाषा में अपराध की धाराएं लिखी जाती है जो आम व्यक्ति के समझ से बहार होती है, सवाल यह है कि मजिस्ट्रेट ऐसे मामले में आरोपी को यह बताएगा कि उसने कौन-सा अपराध किया हैं एवं इसके बचाव में वह क्या कहना चाहता है जानते हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 251 की परिभाषा:-
जब किसी समन की तामील के उपरांत आरोपी मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होता हैं या लाया जाता है तब मजिस्ट्रेट द्वारा उसे अपराध की विशिष्टियां बताई जाएंगी जिसका उस पर आरोप लगाया गया है और मजिस्ट्रेट द्वारा पूछा जाएगा कि उस पर लगाया गया आरोप सत्य है या वह इस आरोप पर अपनी प्रतिरक्षा करना चाहता है।
साधारण शब्दों में अगर हम बात करें तो धारा 251 न्यायालय पर समन मामलों में यह कर्तव्य अधिरोपित करती है कि वह जैसे ही आरोपी न्यायालय के समक्ष हाजिर हो, उसे आरोपों के बारे में बताए एवं उसका अभिवचन दर्ज करे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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