क्या बिना सबूत किसी अपराधी को दंडित किया जा सकता है, पढ़िए - CrPC 1973 Section 252

बिना गवाहों और सबूतों के किसी भी व्यक्ति को अपराधी घोषित करके दंडित नहीं किया जा सकता। गंभीर मामलों में यदि व्यक्ति अपराध की स्वीकारोक्ति कर लेता है तब भी उसे तब तक दंडित नहीं किया जा सकता जब तक कि उसका अपराध साबित नहीं हो जाता लेकिन दंड प्रक्रिया संहिता में ऐसा प्रावधान है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को केवल उसकी स्वीकारोक्ति के आधार पर दंडित किया जा सकता है। 

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 252 की परिभाषा:- 

यदि अभियुक्त दोषी होने का अभिवचन करता है तो मजिस्ट्रेट अभियुक्त का अभिवाक् यथासंभव उन्हीं शब्दों में लेखबद्ध करेगा जिनका अभियुक्त ने प्रयोग किया है और उसके आधार पर उसे, स्वविवेकानुसार, दोषसिद्ध कर सकेगा।

यह प्रावधान केवल तभी लागू होता है जब किसी व्यक्ति को समन के माध्यम से तलब किया गया हो। उस व्यक्ति के ऊपर ऐसे अपराध का आरोप लगा हो, जिसमें अधिकतम 2 वर्ष कारावास, सजा का प्रावधान हो। यदि ऐसा व्यक्ति न्यायालय में उपस्थित होकर अपने ऊपर लगे हुए आरोप को स्वीकार कर लेता है तो मजिस्ट्रेट उसकी स्वीकारोक्ति को उरी शब्दों में दर्ज करेगा जिन शब्दों में उसने अपना आरोप स्वीकार किया है। 

न्यायालय केवल आरोपी की स्वीकारोक्ति के आधार पर अपने विवेकानुसार निर्णय सुना सकता है। न्यायालय चाहे तो साक्ष्य एवं गवाहों का परीक्षण कर सकता है या फिर आरोपी को दंडित कर सकता है। यहां नोट करना अनिवार्य है कि समन मामलों में मजिस्ट्रेट का प्रथम निर्णय ही मान्य होगा क्योंकि समन मामलों की ऊपरी अदालत में अपील नहीं की जा सकती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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