गवाह को बुलाना किसकी जिम्मेदारी है, मजिस्ट्रेट, पुलिस या परिवादी- CrPC 1973 section 254

Bhopal Samachar
कोई भी मामला जब न्यायालय में प्रस्तुत होता है तो वादी एवं परिवादी अपने पक्ष के समर्थन में गवाहों को प्रस्तुत करते हैं। कई बार कुछ गवाह निर्धारित तारीखों पर गवाही के लिए नहीं आते और कोर्ट का समय खराब होता है। प्रश्न यह है कि कोर्ट में गवाह को बुलाना किसकी जिम्मेदारी है। मजिस्ट्रेट, पुलिस अथवा वादी और प्रतिवादी। 

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 254 की परिभाषा

पीड़ित व्यक्ति का दायित्व है कि वह उन सभी साक्षियों को बुलाये जो घटना के विषय की महत्वपूर्ण सूचना दे सकें। अगर बिना कोई कारण बताए पीड़ित व्यक्ति (अभियोजन पक्ष) साक्षियों को नहीं बुलवाता हैं तब मजिस्ट्रेट परिवादी के विरुद्ध विपरीत निष्कर्ष निकाला सकता है।

मजिस्ट्रेट आरोपी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत सभी साक्षियों के बयान लेने के लिए बाध्य होगा क्योंकि आरोपी को प्रतिरक्षा का अवसर दिया जाएगा।

मजिस्ट्रेट समन मामलों में अभियोजन पक्ष या आरोपी पक्ष के साक्षियों को आदेश या समन भेजने के लिए बाध्य नहीं है वह अपने स्वयंविवेकानुसार कार्य करेगा। पीड़ित व्यक्ति एवं आरोपी पक्ष का दायित्व होगा की वह अपनी प्रतिरक्षा में साक्षियों को बुलवाए, लेकिन मजिस्ट्रेट  साक्षियों को सुनने के बाध्य हैं।

साक्षियों को समन भेजने के लिए जो शुल्क देय होगा वह अभियोजन या आरोपी पक्ष न्यायालय में जमा करे। यह दायित्व अभियोजन या आरोपी पक्ष का होगा।

अर्थात हम कह सकते हैं कि किसी समन मामलों में सुनवाई के समय साक्षियों को हाजिर करना अभियोजन (पीड़ित) पक्ष या प्रतिरक्षा में साक्षियों को प्रस्तुत करने का दायित्व स्वयं उपर्युक्त व्यक्ति पर ही होगा न को मजिस्ट्रेट पर।  Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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