जबलपुर। अमलतास मेडिकल कॉलेज देवास में MBBS की छात्रा के 2 साल बर्बाद कर दिए। OBC की छात्रा को ST की सीट आवंटित कर दी, जिसके कारण परीक्षा के समय उसका एडमिशन निरस्त हो गया। हाईकोर्ट ने छात्रा को स्वतंत्र कर दिया है कि वह अमलतास मेडिकल कॉलेज के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।
धामनोद, धार निवासी श्रुति पाटीदार की ओर से यह याचिका दायर की गई। कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने नीट, यूजी परीक्षा, 2019 में सफल होकर 362 अंक प्राप्त किए। उसे द्वितीय राउंड की काउंसिलिंग में देवास के अमलतास इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंस की ओबीसी वर्ग की एमबीबीएस सीट आवंटित की गई लेकिन प्रवेश के समय कॉलेज में उसे एक एसटी छात्रा सृष्टि ठाकुर की छोड़ी हुई सीट दी गई।
उसका अध्ययन जारी रहा। वर्षांत में परीक्षा के लिए उसके अन्य सहपाठियों के प्रवेशपत्र आ गए, लेकिन उसे प्रवेश पत्र नहीं मिला। पत्राचार पर जानकारी हुई कि डीएमई, चिकित्सा शिक्षा संचालक ने उसके प्रवेश का अनुमोदन ही नहीं किया था। इसी के खिलाफ यह याचिका दायर की गई।
अमलतास कालेज की ओर से अधिवक्ता पारितोष गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने इस सम्बंध में शपथपत्र दाखिल किया था कि डीएमई के अनुमोदन तक उसका प्रवेश स्थायी रहेगा। लिहाजा, इसमें कालेज की कोई गलती नहीं।
वहीं राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता जाह्नवी पण्डित ने तर्क दिया कि कॉलेज ने गलत सीट पर प्रवेश दिया, इसलिए डीएमई ने अनुमोदन नही किया। इसी वजह से मेडिकल यूनिवर्सिटी ने प्रवेशपत्र जारी नहीं किए। सुनवाई के बाद तर्कों से सहमत होकर कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी।
हाई कोर्ट ने कहा कि अमलतास मेडिकल कालेज की ओर से दिए गए गलत प्रवेश के लिए यूनिवर्सिटी जिम्मेदार नहीं है। न्यायमूर्ति सुजय पाल व जस्टिस डीडी बंसल की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने इसीलिए प्रवेशपत्र जारी नहीं किया। हालांकि कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता छात्रा अपने दो वर्ष खराब होने के लिए कालेज के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने को स्वतंत्र है। जबलपुर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया JABALPUR NEWS पर क्लिक करें.