नयी दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पेंशनरों के एक देशव्यापी विवाद पर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिटायर्ड कर्मचारी की पेंशन से वसूली इस आधार पर नहीं की जा सकती कि उक्त वेतन वृद्धि किसी गलती के कारण निर्धारित हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट में केरल निवासी थॉमस डेनियल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई चल रही थी जिन्हें जिला शिक्षा अधिकारी, कोल्लम ने उन्हें दिए गए वेतन और वेतन वृद्धि को 1999 में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वापस करने के लिए कहा था।
अदालतों द्वारा पेंशन से वसूली पर स्थगन न्यायिक विवेक की तहत
भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एस. ए. नज़ीर और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि अतिरिक्त भुगतान की वसूली पर रोक लगाने की अनुमति अदालतों द्वारा दी जाती है और यह कर्मचारियों के किसी अधिकार के कारण नहीं, बल्कि न्यायिक विवेक के तहत कर्मचारियों को उसके कारण होने वाली कठिनाई से बचाने के लिए है।
नियोक्ता की गलती से कर्मचारी को हुआ अधिक भुगतान वसूली योग्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि यदि कर्मचारी की किसी गलतबयानी या धोखाधड़ी के कारण अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं किया गया है और यदि नियोक्ता द्वारा वेतन व भत्ते की गणना के लिए गलत सिद्धांत लागू करके या नियम की किसी विशेष व्याख्या के आधार पर अधिक भुगतान किया गया था जो बाद में गलत पाया जाता है तो किया गया अधिक भुगतान वसूली योग्य नहीं है।
अपने पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कोई सरकारी कर्मचारी, विशेष रूप से जो सेवा के निचले पायदान पर है, जो भी राशि प्राप्त करता है, उसे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए खर्च करेगा।
कर्मचारी की पेंशन में से वसूली पर किस स्थिति में राहत नहीं मिलेगी
पीठ ने कहा कि लेकिन जहां कर्मचारी को पता है कि प्राप्त भुगतान देय राशि से अधिक है या गलत भुगतान किया गया है या जहां गलत भुगतान का पता चला जल्दी ही चल गया है तो अदालत वसूली के खिलाफ राहत नहीं देगी। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.