जबलपुर। मध्य प्रदेश के गठन के समय निर्धारित किया गया था कि 33% राजधानी जबलपुर में रहेगी यानी कुछ सरकारी विभागों का राज्य स्तरीय मुख्यालय जबलपुर में होगा। इसी के तहत हाई कोर्ट भी बनाया गया। हाई कोर्ट तो अभी जबलपुर में हैं लेकिन उसके अलावा सारे स्टेट लेवल के हेडक्वार्टर शिफ्ट हो रहे हैं। ताजा खबर है कि लेबर कमिश्नर का ऑफिस भी भोपाल शिफ्ट किया जा रहा है।
जबलपुर से कार्यालय कल्याण आयुक्त एवं श्रम कल्याण संगठन के दफ्तर को भोपाल स्थानांतरित किया जा रहा है। केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय से इस संबंध में निर्णय हो चुका है। अगले दो तीन माह में जबलपुर का दफ्तर बंद कर सारे अधिकारी और कर्मचारी भोपाल में बैठना शुरू हो जाएंगे। ये मप्र और छत्तीसगढ़ के बीड़ी श्रमिक और खदान मजदूरों के लिए उपयोगी दफ्तर है, जिसका मुख्यालय करीब 35 साल से जबलपुर में है।
बिजली कंपनी के मुखिया भोपाल गए, बाबू जबलपुर में रह गए
बिजली कंपनी का मुख्यालय भी लगातार अफसर भोपाल भेजने में जुटे हैं। मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी के पहले रीजनल दफ्तर खोले गए। जहां मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी तैनात किए गए। काम को हल्का करने का हवाला देते हुए यह निर्णय हुआ था। इस दौरान पावर मैनजमेंट कंपनी के रेवेंन्यु विभाग के मुखिया और कुछ कर्मियों को भोपाल बिजली दफ्तर में बैठा दिया गया। कंपनी प्रबंधन ने दावा किया कि विभागों को भेजा नहीं गया है जबकि विभागों के मुखिया ही भोपाल में जम चुके हैं। यहां तक की पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक भी ज्यादातर वक्त भोपाल मुख्यालय में गुजारते हैं।
संचालनालय कौशल विकास भी नाम का रह गया
कृष्णकांत शर्मा ने कहा कि इससे पहले हाईकोर्ट का विखंडन कर दिया गया। प्रदेश का संचालनालय कौशल विकास का मुख्यालय जबलपुर में हाेते हुए भी कमजोर कर दिया गया। यहां होने ज्यादातर कार्य भोपाल में हो रहे हैं। वहां अलग दफ्तर बना दिया गया है। जहां प्रमुख अधिकारी बैठ रहे हैं।