भोपाल। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने कालेजों को निर्देश दिए हैं कि मध्य प्रदेश के कालेजों को नए पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए अब उच्च शिक्षा विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। स्ववित्तीय पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए अब स्थानीय स्तर पर ही जनभागीदारी समिति से मंजूरी लेकर पाठ्यक्रम शुरू किए जा सकेंगे। सभी कालेजों को तीन पाठ्यक्रम हर हाल में शुरू करने होंगे।
स्ववित्तीय पाठ्यक्रमों के संचालन का व्यय विद्यार्थियों से ही लिया जाता है। इसके चलते विभागीय स्तर पर उसके लिए अलग से किसी तरह का कोई व्यय नहीं होता है। ऐसे में विभाग ने ऐसे पाठ्यक्रमों के लिए कालेजों को निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र किया है। वो नए पाठ्यक्रम जिनमें नियमित पद की आवश्यकता है, उनके लिए विभागीय स्वीकृति आवश्यक होगी।
विभागीय स्तर पर पाठ्यक्रमों की स्वीकृति को लेकर लंबी प्रक्रिया होती है। ऐसे में कालेजों से विभाग के पास मंजूरी के लिए आवेदन पहुंचते हैं। वहीं कालेजों को स्ववित्तीय पाठ्यक्रम को लेकर स्थानीय स्तर पर ही पूरे संसाधन जुटाना होते हैं। विद्यार्थियों के शुल्क से ही विभाग का संचालन किया जाता है। शिक्षक भी अस्थायी नियुक्त किए जाते हैं। ज्यादातर शासकीय कालेजों में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को स्ववित्तीय मद में ही शुरू किया जा रहा है।
विभाग के मुताबिक स्थानीय संस्था की जनभागीदारी समिति की अनुशंसा के बाद इसका संचालन किया जा सकता है। स्थानीय स्तर पर स्वीकृति के साथ स्ववित्तीय पाठ्यक्रम प्रारंभ होने से जहां कालेज समय की जरूरत के हिसाब से नए पाठ्यक्रम शुरू कर पाएंगे, साथ ही उनका संचालन भी करेंगे। नई शिक्षा नीति में शासन ने सभी शासकीय कालेजों को तीन-तीन नए पाठ्यक्रम स्ववित्तीय मद में प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। इसको लेकर अब कालेज प्रबंधन भी अपने स्तर पर प्रक्रिया में जुट गए हैं, ताकि जल्द से जल्द नए पाठ्यक्रम शुरू किए जा सकें। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.