मंडला। आजाद अध्यापक शिक्षक संघ मंडला ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन के द्वारा वार्षिक कैलेंडर जारी कर यह बताया गया है शिक्षकों के 30 मई से 14 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित हैं, किंतु हकीकत इसके विपरीत है, एक तरफ शासन आदेश कर शिक्षकों के अवकाश घोषित करती है और दूसरी तरफ ग्रीष्मकालीन अवकाश में शिक्षकों को इस भीषण गर्मी में शालाओं में उपस्थित होकर विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का संचालन करवाना पड़ता है।
इन गतिविधियों में प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रौढ़ शिक्षा एक अलग ही डिपार्टमेंट है। यह डिपार्टमेंट क्या कार्य करता है समझ के परे है। प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम भी शिक्षकों को ही चलाना है तो कार्यालय अलग क्यों हैं? शिक्षक अपनी शाला के बच्चों का अध्यापन कार्य करवा रहा है, साथ ही ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान उनके पालकों एवं गांव के वरिष्ठ नागरिकों जो कि 70 से 80 वर्ष के हैं उनको भी पढ़ा रहा है।
शासन इसी समय मूंग दाल का वितरण भी शिक्षकों के माध्यम से करवा रही है। जिला स्तर पर इस भीषण गर्मी में चलित पुस्तकालय भी शिक्षकों के अवकाश में बाधा बन रहे हैं। यह सभी कार्य जून के माह में स्कूल खोलने के पश्चात भी हो सकते हैं। इसी अवकाश के दौरान सीडब्ल्यूएसएन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों के ऊपर थोपी जा रही है। कक्षा एक से पांच तक अध्यापन कार्य कराने वाले शिक्षकों को छह दिवसीय प्रशिक्षण में घसीटा जा रहा है जिसका पहला चरण पूर्ण हो चुका है एवं दूसरा चरण डाइट परिसर मंडला में जारी है।
पांचवी आठवीं का परीक्षा परिणाम
राज्य शिक्षा केंद्र के एक प्रयोग ने शिक्षकों के ग्रीष्मकालीन अवकाश की बैंड बजा दी है। राज शिक्षा केंद्र में पांचवी आठवीं की परीक्षा बोर्ड पैटर्न में करवाई एवं इसका पूरा कार्य ऑनलाइन कराया किंतु ऑनलाइन रिजल्ट एवं अंकसूची अभी तक बच्चों को वितरित नहीं की जा सकी हैं। अभी भी अंक सूचियों में त्रुटि सुधार कार्य चल रहा है, जिसमें शिक्षक लगातार लगे हुए हैं।
दूसरी तरफ इन सभी गतिविधियों का संचालन करवाने के लिए जन शिक्षा केंद्र पर मीटिंगों का दौर भी जारी है, जो शिक्षक मीटिंग पर अनुपस्थित रहते हैं उन्हें नोटिस जारी कर धमकाया भी जा रहा है।
अवकाश के दौरान शिक्षकों से ग्राम सर्वे जाति प्रमाण पत्र, आयुष्मान कार्ड, टीकाकरण की जानकारी एवं सामाजिक चेतना केंद्र का भी संचालन शिक्षकों द्वारा करवाए जा रहा है। अक्षर मित्र यदि उपलब्ध नहीं होते हैं तो शिक्षकों को जिम्मेदार ठहरा कर नोटिस जारी किया जाता है।
शिक्षक असमंजस में है कि शासन के अवकाश को माने या अन्य विभागों द्वारा जो नोटिफिकेशन जारी किए जा रहे हैं उन्हें माने।
संगठन ने कहा कि शासन समाज को यह बताता है कि हम शिक्षकों को 45 दिन का ग्रीष्मकालीन अवकाश देते हैं किंतु इस अवकाश की हकीकत कुछ और ही है। यह ग्रीष्मकालीन अवकाश शिक्षकों को उनकी मानसिक स्थिति को आराम देने के लिए दिया जाता है ताकि वह नए सत्र में नई ऊर्जा के साथ पुनः बच्चों के बीच अपने ज्ञान का प्रचार प्रसार कर सकें, किंतु देखा जा रहा है कि अब शासन को बच्चों की पढ़ाई से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें सिर्फ अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए शिक्षकों का इस्तेमाल करना है।
अब तो यह भी कहा जाता है कि शिक्षक को हम तनख्वाह देते हैं तो हम जो चाहे वह काम इनसे करवाएंगे। संगठन ने मांग की है या तो शासन इन अवकाश को रद्द कर दी या फिर अवकाश है तो शिक्षकों को अवकाश पर रहने दें। शिक्षकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है कहीं ऐसा ना हो कि शिक्षकों का आक्रोश शासन प्रशासन के ऊपर टूटे।