भोपाल। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग में सक्रिय संगठन के नेताओं को मुख्यमंत्री से मिलने की मनाही है। राजधानी में प्रदर्शन नहीं कर सकते, पुलिस बॉर्डर पर खड़ी हो जाती है। सीएम सचिवालय से चिट्ठियों का जवाब नहीं मिलता यहां तक की सीएम हेल्पलाइन में भी मामले पेंडिंग पड़े रहते हैं।
सीएम हेल्पलाइन में स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित 2579 पेंडिंग है। पिछले 2 साल में विद्यार्थियों और शिक्षकों से संबंधित 60,967 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन से प्राप्त हुई। इनमें से विद्यार्थियों से संबंधित 50,485 शिकायतों का निराकरण कर दिया गया परंतु शिक्षकों और कर्मचारियों से संबंधित 2000 से ज्यादा शिकायतों का निराकरण नहीं किया गया। कुछ शिकायतें दो L4 लेवल तक पहुंच गई है परंतु किसी को कोई चिंता नहीं है। 350 शिकायतों को जबरदस्ती बंद कर दिया गया।
हाल ही में चुनाव के कारण शिक्षकों के ग्रीष्मकालीन अवकाश निरस्त कर दिया जाए। चुनाव महत्वपूर्ण काम है और शिक्षकों को इसका अनुभव है इसलिए अवकाश निरस्त करना उचित है परंतु शेष बचे हुए अवकाश के दिनों का समायोजन करना चाहिए। इसका कोई उल्लेख नहीं है। ऐसा लगता है जैसे शीर्ष पर बैठे अधिकारियों ने तय कर लिया है कि वह शिक्षकों को तब तक प्रताड़ित करते रहेंगे जब तक कि वह बगावत पर ना उतरा है और समाज में एक संदेश ना चला जाए कि मध्यप्रदेश में कोई भी नौकरी करना लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग में नौकरी मत करना।