भोपाल। मध्य प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के लिए तबादला नीति 2022 की फाइल बनकर तैयार हो गई है। कुछ कागजों में तबादला नीति अंकित कर दी गई है परंतु इस पर विवाद शुरू हो गया है। नियमित कर्मचारी सिस्टम में मंत्रियों के इंटरफेयर से काफी परेशान हैं और वह चाहते हैं कि ट्रांसफर पॉलिसी में कुछ इस तरह की शर्तें और व्यवस्था कर दी जाए ताकि नेताओं को लक्ष्मण रेखा के बाहर रखा जा सके। कुल मिलाकर मामला अटक गया है। इस महीने तबादला नीति पर प्रतिबंध हटने की संभावना कम हो गई है।
मध्य प्रदेश के किन विभागों में नेताओं के कारण तनाव की स्थिति
मध्य प्रदेश शासन के पीडब्ल्यूडी, पीएचडी डिपार्टमेंट, जल संसाधन विभाग, नर्मदा घाटी विकास, बिजली विभाग और नगरीय विकास यानी कि वह सभी डिपार्टमेंट जिनमें निर्माण कार्य होते हैं, विकास के लिए बड़ा बजट आता है। इन विभागों में जूनियर कर्मचारी नेताओं के साथ मिलकर मनमानी पोस्टिंग हासिल कर लेते हैं। सीनियर अधिकारियों को जूनियर के अंदर काम करना पड़ता है।
मध्य प्रदेश तबादला नीति में क्या बदलाव चाहते हैं अधिकारी
- वरिष्ठ पद पर नियमित कर्मचारी अधिकारियों को प्राथमिकता दी जाए।
- किसी नियमित वरिष्ठ अधिकारी को फील्ड पोस्टिंग नहीं देना, तो इसकी जानकारी दी जाए।
- प्रभार के मामलों में स्वास्थ्य स्वेच्छा एवं अन्य गंभीर आरोपों को देखा जाए।
- जूनियर अधिकारियों की एक फिट लिस्ट बनाई जाए। इसी लिस्ट के अधिकारियों को वरिष्ठ अधिकारी का प्रभार दिया जाए।
- यदि किसी ऑफिस में सीनियर अधिकारी मौजूद है तो उसके जूनियर को प्रभार ना दिया जाए।