Madhya Pradesh Government employees news
भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के करीब 500000 शासकीय कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज़ है। सरकार कर्मचारियों के पेंशन प्रकरण से जुड़े नियमों में बदलाव करने जा रही है। निर्धारित किया जा रहा है कि कर्मचारी के रिटायर होते ही उसका पेंशन प्रकरण तैयार हो जाए। इसमें किसी भी प्रकार की देरी ना हो। इसके लिए कोई गाइडलाइन अथवा SOP नहीं बल्कि नियमों में बदलाव किया जा रहा है ताकि जिम्मेदारी निर्धारित की जा सके और लापरवाही के लिए दंडित किया जा सके।
पेंशन भविष्य निधि एवं बीमा संचालनालय ने राज्य कर्मचारी आयोग से सुझाव मांगे
पेंशन भविष्य निधि एवं बीमा संचालनालय ने राज्य कर्मचारी आयोग से भी सुझाव मांगे हैं। प्रदेश में प्रतिवर्ष औसतन डेढ़ हजार अधिकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं। नियमानुसार पेंशन प्रकरण को सेवानिवृत्त होने के पहले ही अंतिम रूप दे दिया जाना चाहिए पर ऐसा होता नहीं है। संबंधित विभाग कोषालय को सेवा पुस्तिका भेजते हैं, जहां वेतन निर्धारण संबंधी सत्यापन होता है। इसके बाद विभाग संभागीय पेंशन कार्यालय को प्रकरण भेजते हैं। इसमें तीन से चार माह का समय लग जाता है।
मध्य प्रदेश में शासकीय कर्मचारियों के पेंशन नियम में संशोधन हेतु समिति गठित
इस विलंब के लिए अभी किसी की जिम्मेदारी तय नहीं होती है और न ही संबंधित अधिकारी को दंडित किया जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए पेंशन, भविष्य निधि एवं बीमा संचालनालय ने नियम में संशोधन के लिए समिति गठित की है। इसमें राजपत्रित अधिकारी संघ के अशोक शर्मा, लघुवेतन कर्मचारी संघ के महेन्द्र शर्मा और पेंशनर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश के अध्यक्ष श्याम जोशी को सदस्य बनाया है।
मध्य प्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976- कर्मचारियों से सुझाव मांगे
इनसे मध्य प्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के प्रचलित प्रविधानों को सरल करने के लिए सुझाव मांगे गए हैं। साथ ही राज्य कर्मचारी आयोग से भी कहा गया है कि वह इस संबंध में कर्मचारी संगठनों से चर्चा करके अभिमत दे। संचालक पेंशन, भविष्य निधि एवं बीमा जेके शर्मा ने बताया कि पेंशनरों की सुविधा के लिए कई कदम उठाए जा चुके हैं।
अब पेंशन प्रकरण को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है। सभी से विचार-विमर्श कर प्रतिवेदन वित्त विभाग को सौंपा जाएगा। अविवाहित पुत्रियों के लिए आयु का बंधन समाप्त करने की मांग पेंशनर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी ने कहा कि पेंशन नियमों में अविवाहित पुत्री को अभी 25 वर्ष तक ही पेंशन मिलती है। इस आयु बंधन को समाप्त किया जाना चाहिए।
साथ ही पेंशनर की महंगाई राहत (डीआर) भी कर्मचारियों के महंगाई भत्ता में वृद्धि के साथ बढ़ाने की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। अभी पेंशनर को छत्तीसगढ़ की सहमति का इंतजार करना पड़ता है, जबकि केंद्र सरकार आपसी सहमति से इस प्रविधान को खत्म करने दोनों राज्यों को पत्र लिख चुकी है। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.