भोपाल। जब भी कोई गड़बड़ी होती है हमेशा ऊपर से होती है। वित्तीय वर्ष खत्म हो रहा था। कहीं पैसा लैप्स ना हो जाए इसलिए राज्य शिक्षा केंद्र ने स्कूलों के मेंटेनेंस और खेल सामग्री खरीदने के लिए पैसा BRC के अकाउंट में डाल दिया। नतीजा ना तो किसी स्कूल का मेंटेनेंस हुआ और ना ही कोई खेल सामग्री खरीदी गई। 7 BRC ने मिलकर 14 करोड रुपए हजम कर लिए। बताने की जरूरत नहीं कि इसके हिस्सेदार कितने और कहां-कहां है होंगे।
मामला मध्य प्रदेश के सिर्फ 1 जिले मुरैना का है। जिले में 7 बीआरसी की निगरानी में संचालित 1531 प्राइमरी, 250 मिडिल स्कूलों और 210 एकीकृत शालाओं (कुल 1991 स्कूल) का संचालन होता है। सभी शालाओं में रंगाई-पुताई, सुरक्षा के इंतजाम जैसे फर्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र सहित अन्य चीजों पर खर्चे के लिए बजट आवंटित किया गया था। यह पैसा स्कूलों के खाते में जाना चाहिए था लेकिन राज्य शिक्षा केंद्र ने प्रत्येक बीआरसी के खाते में 2-2 करोड़ रुपए भेज दिए।
बजट की आवंटन का तरीका उसके नतीजों को निर्धारित कर गया। किसी तरह की कोई सामग्री की खरीदी नहीं हुई। लोकल की दुकानों से बिल बनवाए और लगा दिए गए। मामले का खुलासा तो इसलिए हुआ क्योंकि स्कूल वालों को जो 15% कमीशन मिलना चाहिए था, BRC ने वह भी नहीं दिया। सब कुछ TOP to BRC बंट गया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.