भोपाल। कलेक्टर किसी भी जिले में राजस्व विभाग का मुखिया होता है परंतु मध्य प्रदेश के राजस्व विभाग में बिना दबाव के कोई काम नहीं होता। दबाव किसी भी प्रकार का हो सकता है। हालात यह है कि 900000 शिकायतें पेंडिंग है, क्योंकि उनके पीछे कोई दबाव नहीं है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र सिंह की एक रिपोर्ट के अनुसार बीपीएल कार्ड, नामांतरण, किसान समान निधि, निजी एवं शासकीय भूमि पर अतिक्रमण, भूमि का सीमांकन, खसरे की नकल, आपदा राशि, भू अर्जन का मुआवजा नहीं, बंटवारा उपरांत नक्शा नहीं मिलना, पट्टा नहीं मिला, खसरा खतौनी नकल में देरी, भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका, नक्शा सुधार आदि से संबंधित 9 लाख से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग चल रही हैं। बताने की जरूरत नहीं कि सभी शिकायतें किसानों से संबंधित हैं और किसानों के लिए महत्वपूर्ण है।
इस मामले में अधिकारियों के पास कई तरह के कारण है और शीर्ष पर बैठे अधिकारियों के पास आश्वासन। मध्य प्रदेश के राजस्व आयुक्त संजय गोयल का कहना है कि पोर्टल में डाटा अपडेट का काम चल रहा है इसलिए संख्या ज्यादा दिखाई दे रही है। सवाल यह है कि यदि 9 लाख का आधा कर दिया जाए तो क्या 4.5 लाख शिकायतों की पेंडेंसी अच्छी बात है। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.