जबलपुर। मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने एलएलबी के छात्र मनोज कुमार पांडे विरुद्ध अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी डिग्री के आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि वह व्यक्ति किस राज्य का निवासी है। यदि मध्य प्रदेश का छात्र किसी दूसरे राज्य से डिग्री प्राप्त करता है तो उसे बाहर ही नहीं माना जा सकता और यदि कोई दूसरे राज्य का निवासी छात्र मध्य प्रदेश के किस कॉलेज से डिग्री प्राप्त करता है तो उसे मध्य प्रदेश का निवासी नहीं माना जा सकता।
रीवा निवासी मनोज कुमार पांडे ने अविभाजित मध्यप्रदेश, वर्तमान में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की गुरुघासीदास विश्वविद्यालय से 1997 में बीए की डिग्री ली। वर्ष 2020 में याचिकाकर्ता ने जब LLB करने के लिए अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय त्योंथर में प्रवेश लिया तो नामांकन शुल्क के तौर पर विश्वविद्यालय ने याचिकाकर्ता को प्रदेश के बाहर से आए छात्र के तौर पर मानते हुए 8000 रुपये शुल्क लिया।
इसे याचिकाकर्ता की ओर से याचिका के जरिए इस आधार पर चुनौती दी गई कि वह मध्यप्रदेश का मूल निवासी है। अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने तर्क दिया कि छत्तीसगढ़ का गठन याचिकाकर्ता के बीए करने के बाद 2000 में हुआ था, अतः वह दूसरे प्रदेश का छात्र नहीं माना जा सकता है। सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश सुजय पाल व न्यायाधीश द्वारकाधीश बंसल की युगलपीठ ने फैसला सुनाया कि किसी डिग्री के आधार पर यह निर्धारित नहीं किया जा सकता कि व्यक्ति किस राज्य का निवासी है।