जबलपुर। मध्य प्रदेश में प्रमुख ऊर्जा सचिव ने कहा कि बिजली हानि कम करने और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की आर्थिक सेहत सुधारने की तीन योजना पर अगले कुछ महीने में अमल हाेगा। ब्लॉक स्तर तक लगभग 8 हजार शासकीय कार्यालयों में स्मार्ट व प्रीपेड मीटर प्राथमिकता से लगाए जाएंगे। इससे हर महीने 600 से 700 करोड़ रुपए की उधारी बंद हो जाएगी।
पहला सबसे अधिक हानि वाले क्षेत्रों में सबसे पहले एबी केबलिंग या भूमिगत केबलिंग के कार्य कराए जाएं। सरकारी भवनों में प्री-पेड मीटर लगाया जाए। इससे उधारी बंद होगी और नकदी की समस्या दूर होगी। प्रदेश में अधिकतर सरकारी भवनों में या तो मीटर खराब पड़े हैं या फिर औसत बीलिंग की जाती है। सरकारी भवनों पर बकाया होने के बावजूद पावर कट विभाग नहीं कर पाता है। हर महीने करोड़ों का बकाया होने पर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों का आर्थिक हालत गड़बड़ा जाती है।
प्रदेश में जबलपुर, भोपाल, इंदौर व ग्वालियर नगर निगम का ही हर महीने का बिल 100 करोड़ रुपए बनता है। इसके अलावा अन्य निकायों का लगभग 250 करोड़ का बिल बनता है। इतनी ही बिजली खर्च अन्य सरकारी भवनों का महीने का है। मतलब 600 से 700 करोड़ हर महीने 8 हजार सरकारी भवनों में खर्च होते हैं। प्रीपेड व स्मार्ट मीटर लगाने से ये राशि हर महीने कंपनी को नकद मिलेगी।
स्मार्ट मीटर प्री-पेड मीटर होगा, रिचार्ज खत्म होने तुरंत न कटे बिजली
सामान्य मीटर से अलग ये स्मार्ट मीटर प्री-पेड मीटर होगा। इसमें मोबाइल की तरह बिजली का रिचार्ज होगा। उपभोक्ता उपयोग के अनुसार बिजली का रिजार्च करवा सकता है। मीटर में हर वक्त बिल की खपत के साथ बकाया यूनिट संबंधी जानकारी प्रदर्शित होगी। उपभोक्ता के मोबाइल पर भी रिचार्ज समाप्ति का मैसेज आएगा और मोबाइल से रिचार्ज कराया जा सकेगा। प्रमुख सचिव ऊर्जा ने सुझाव बिजली वितरण कंपनियों को कहा है कि वे मप्र विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल करें, कि रात में प्री-पेड मीटर के कनेक्शन न बंद हो। भले ही उपभोक्ता का रिचार्ज खत्म हो जाए। दोबार रिचार्ज के लिए कुछ दिन का अतिरिक्त समय दिया जाए। ताकि किसी वजह से उपभोक्ता प्री-पेड मीटर रिचार्ज नहीं करवा पाए, तो उसे दोबारा रिचार्ज करवा सके। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.