जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सभी जिला अदालतों में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी (एडीपीओ) की भर्ती में उपस्थित हुए आरक्षण विवाद पर फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को आदेशित किया है कि वह 14% ओबीसी आरक्षण के साथ भर्ती प्रक्रिया को जारी रखें। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति डीके पालीवाल की युगलपीठ ने व्यवस्था देते हुए राज्य सरकार, MPPSC सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है।
याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी शिवम गौतम की ओर से अधिवक्ता ब्रहमेंद्र पाठक, रीना पाठक व शिवेश अग्निहोत्री ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सात जून, 2021 को राज्य के गृह विभाग ने एडीपीओ के पद पर नियुक्तियों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किए। विज्ञापन के तहत इस भर्ती में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया। बाद में नवम्बर, 2021 व जनवरी, 2022 में शुद्धिपत्र जारी कर सरकार ने सीटें भी बढ़ा दीं।
इंद्रा साहनी व अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट रूप से कह चुका है कि किसी भी हालत में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। इसके बावजूद एडीपीओ भर्ती प्रक्रिया में कुल आरक्षण 63 प्रतिशत हो रहा है। विगत दो वर्षों में हाई कोर्ट ने भी विभिन्न नियुक्तियों में 14 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आरक्षण नहीं देने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 26 फरवरी को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था।
गुरुवार को यह निर्णय सुनाते हुए हाई कोर्ट ने उक्त भर्ती प्रक्रिया में 14 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आरक्षण को स्थगित कर दिया। बहस केे दौरान ओबीसी की ओर से पैरवी करने के लिए राज्य शासन की ओर से नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। उन्होंने 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने पर बल दिया। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.