जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में लोक सेवा आयोग के लिए स्पेशल बेंच बनाने की जरूरत है क्योंकि आयोग स्वयं विवाद उपस्थित करता है और गलती सामने आने पर भी सुधरता नहीं है। दर्जनों मामले हाई कोर्ट में चल रहे हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में आरक्षण का नया विवाद सामने आया है।
आरक्षण का लाभ ले चुके 7 उम्मीदवारों को अनारक्षित कोटे में नियुक्ति दे दी गई है। यह मामला भी हाईकोर्ट में आ गया है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, पीएससी के सचिव सहित सात चयनित अभ्यर्थियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
याचिकाकर्ता सतना निवासी डा. शालिनी शुक्ला व लालिमा विजयवर्गीय की ओर से अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पीएससी ने असिस्टेंट प्रोफेसर 2017 परीक्षा के रिवाइज्ड परिणाम फरवरी, 2022 को जारी किया है। इतिहास विषय में कुछ आरक्षित वर्ग के परीक्षार्थी जिन्होंने योग्यता हासिल करने में भी आरक्षण का लाभ किया है, उन्हें अनारक्षित वर्ग में शिफ्ट किया गया है।
परीक्षा के पहले गेस्ट फैकल्टी के रूप में, सैट परीक्षा में पीएचडी आदि में इन उम्मीदवारों ने आरक्षण का लाभ लेकर योग्यता हासिल की थी। पीएससी द्वारा जारी रिवाइज्ड सूची में सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र का हवाला देते हुए कहा गया कि बिना किसी रियायत के योग्यता हासिल करने वाले आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को ही अनारक्षित वर्ग में स्थान दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया कि सात ऐसे चयनित उम्मीदवार हैं, जिन्होंने परीक्षा के लिए योग्यता हासिल करने पूर्व में आरक्षण का लाभ लिया है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि ऐसी स्थिति में उनका हक मारा गया है। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.