Madhya Pradesh Public Service Commission, Indore का गठन मध्य प्रदेश शासन के लिए योग्य प्रशासनिक अधिकारियों का चुनाव करने हेतु किया गया था परंतु पिछले 3 साल से आयोग अपने उद्देश्य में 100% विफल हो गया है। डिबेट करने की जरूरत नहीं है। सभी समस्याओं का सिर्फ एक समाधान है। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को MPPSC का चेयरमैन बनाया जाए और आयोग के सदस्यों में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को रखा जाए।
MPPSC ने हद कर दी, 3 साल में एक भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं दिया
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है परंतु हर परीक्षा विवादित हो जाती है। पिछले 3 साल से लोक सेवा आयोग, मध्यप्रदेश शासन को एक भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं दे पाया है। आखिरी बार फरवरी 2019 में राज्य सेवा परीक्षा 2018 के 298 स्वीकृत पदों में से 286 की नियुक्तियां हुई थीं। स्थिति यह है कि मध्यप्रदेश में 1062 पदों पर नियुक्ति से पहले पर बाद उपस्थित हो गए हैं।
कारण छोड़ो, समाधान सुनो
अब बहुत समय हो गया है। स्टूडेंट यदि बार-बार मौका देने के बाद भी पास ना हो तो उसे बाहर निकाल दिया जाता है। आयोग यदि अपने उद्देश्य में सफल ना हो तो उसे भंग कर देना चाहिए। एमपीपीएससी की हर परीक्षा विवादित हो रही है। इसे निर्विवाद करने का सिर्फ एक ही तरीका है। हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को एमपीपीएससी का चेयरमैन बनाया जाए। केस लड़ने के लिए वकीलों को फीस वैसे भी देनी पड़ती है इसलिए उन्हीं वकीलों को आयोग का सदस्य बनाकर पॉलिसी निर्धारण के समय मीटिंग में बुलाया जाए। सभी विवादों पर पहले ही विचार हो जाएगा। एक निर्विवाद प्रक्रिया सामने आएगी, और फिर विधिक सलाह के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा।