ओवरलोड यात्री वाहन तो सभी शहरों में चलते हैं। भारत के कई शहरों में लोकल ट्रांसपोर्टेशन वाले वाहन (टेंपो से लेकर सिटी बस तक) एक बार चालन बनवा लेते हैं और फिर दिन भर मनमानी संख्या में यात्रियों को भरते रहते हैं। गाड़ी के कांच पर सुबह बनवाया चालन चिपका देते हैं और फिर कोई भी पुलिस वाला दिनभर उनका चालान नहीं बनाता। सवाल यह है कि क्या चालान भरने के बाद ओवरलोड यात्री वाहन को सड़क पर चलने का अधिकार मिल जाता है। आइए जानते हैं:-
यात्री वाहन में यात्रियों की संख्या क्यों निर्धारित की जाती है
यात्री वाहन कोई भी हो (टू व्हीलर से लेकर बड़ी बस तक) उसके रजिस्ट्रेशन एवं परमिट के समय परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित किया जाता है कि वाहन में कुल कितने यात्री सफर कर सकते हैं। आवेदन के समय वाहन मालिक इस शर्त को स्वीकार करता है। वाहन में यात्रियों की संख्या का निर्धारण आरटीओ नहीं करता बल्कि एक बड़ी तकनीकी परीक्षा के बाद निर्धारित किया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि निर्धारित से अधिक संख्या में यात्री सवार करने पर एक्सीडेंट का खतरा बढ़ जाता है।
मोटर यान अधिनियम,1988 की धारा 194 (क) की परिभाषा:-
जो कोई वाहन चालक या वाहन स्वामी की आज्ञा से यात्री बस या किसी भी प्रकार के मोटर यान (ऑटो रिक्शा, निजी टैक्सी, सिटी-बस आदि) में शासन द्वारा निर्धारित से अधिक संख्या में यात्रियों को ले जाएगा, ऐसी स्थिति में प्रत्येक यात्री ₹200 के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।
विशेष नोट:- जुर्माना भरने के बाद भी ओवरलोड वाहन को यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। वाहन के मालिक को अंतरिक्ष यात्रियों को वाहन से उतारना होगा और उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने के लिए वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था करनी होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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