मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 113 में बताया गया है कि किसी वाहन को परमिट हेतु आवेदन करने से पहले शासन द्वारा निर्धारित नियम एवं शर्तों को मारना अनिवार्य होगा। जैसे, यदि टायरों में उनके लिए निर्धारित मात्रा में हवा नहीं है तो वाहन सड़क पर नहीं चलाया जाएगा। वाहन के लिए निर्धारित लोड कैपेसिटी से ज्यादा वजन नहीं ले जाया जाएगा।
धारा-114 के अनुसार राज्य सरकार एवं परिवहन अधिकारी को शक्ति प्राप्त है कि वह ऐसे वाहन को अपनी सीमा के अन्दर तुलवा सकता है एवं धारा-115 के अनुसार राज्य सरकार या परिवहन अधिकारी भारी या अधिक माल वाले वाहन को सड़क पर चलने से रोक सकती है एवं धारा 116 के अनुसार ऐसे वाहन पर राज्य सरकार या परिवहन अधिकारी चिन्ह लगा सकते है, अगर कोई व्यक्ति उपर्युक्त किसी भी धारा का उल्लंघन करता है तब क्या कार्यवाही हो सकती है जानिए।
मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 194 की परिभाषा
1. अगर कोई व्यक्ति उपर्युक्त धारा 113,114,या धारा 115 के नियमों अर्थात कोई भारी वाहन, पंचर वाहन, आवश्यकता से अधिक भार वाला वाहन सड़क पर ले जाता है या अधिकारी के बोलने पर वाहन का भार नहीं तुलवता हैं या अधिकारी द्वारा रोके गए वाहन को दोबारा सार्वजनिक सड़क पर चलाता है तब ऐसे चालक या वाहन स्वामी पर बीस हजार रुपए का जुर्माना एवं अधिक भार होने पर दो हजार रुपए प्रतिटन के हिसाब से अतिरिक्त रकम का जुर्माना।
2. ऐसा लादा हुआ वाहन सार्वजनिक सड़क से ले जाना जिसका आधा भाग लंबाई, चौड़ाई या ऊँचाई में बाहर निकल रहा हो अर्थात कोई समान या वस्तु को इस प्रकार भरना की अतिरिक्त समान को रस्सी में बंध कर बाहर निकलना तब वाहन चालक या स्वामी को बीस हजार रुपए जुर्माना एवं उतराई भार की अतिरिक्त रकम देनी होगी।
3. अगर कोई व्यक्ति अधिकारी की जाँच से पहले ही माल को कम कर लेता है अर्थात रेत के वाहन से रेत को जांच से पहले ही काम कर देता है या वाहन के भार की तुलवाई नहीं करवाता है तब ऐसे व्यक्ति पर चालीस हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।