राजस्थान के जयपुर में पहली बार 16 लोगों को आर्टिफिशियल पेनक्रियाज इक्विपमेंट लगाया गया है। जोकि शरीर में उतनी ही मात्रा में इंसुलिन देगा जितनी जरूरत होगी। डायबिटीज पीड़ित लोगों के लिए यह राहत भरी खबर है। इससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम-ज्यादा होने और इंसुलिन को इंजेक्ट करने की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। अब तक इसका ट्रायल मंजूर किया जा चुका है और यूएसएफडीए( USFDA, यूनाइटेड स्टेट एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) से डेढ़ महीने में अप्रूवल मिलने की उम्मीद है।
आर्टिफिशियल पैंक्रियास इक्विपमेंट्स क्या है
यह आर्टिफिशियल पैंक्रियास इक्विपमेंट 2 इंस्ट्रूमेंट को साथ में लाकर बनाया गया है। इसमें सीजीएम यानी कंटीन्यूअस ग्लूकोस मॉनिटरिंग और इंसुलिन पंप के बीच कनेक्टिविटी की गई है। हालांकि सीजीएम और इंसुलिन पंप पिछले एक दशक से उपयोग में लाए जा रहे हैं लेकिन अब दोनों एक साथ काम करेंगे और शरीर को उसी समय पर्याप्त इंसुलिन मिल सकेगी जिस समय इसकी जरूरत होगी। हालांकि अभी यह इक्विपमेंट्स महंगा है (करीब 5 लाख) परंतु कई कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं और लगभग नवंबर तक कई कंपनियां इस तरह का प्रोडक्ट बाजार में ले आएंगी।
डॉ.पुनीत सक्सेना ,सीनियर प्रोफेसर, मेडिसिन, एसएमएस ने बताया कि सीजीएम और इंसुलिन पंप मिलकर ऐसा काम करेंगे कि शरीर को जरूरत पड़ते ही इंसुलिन मिल सके। इस पर लंबे समय से काम हो रहा है। अभी कुछ लोगों (16) को यह लगाया भी गया है। जो काफी हद तक गुड फील भी कर रहे हैं। यूएसएफडीए से अप्रूवल मिलने पर लोगों को राहत मिलेगी और कई कंपनियों के आने से इसकी कीमतों में भी कमी होगी।
अभी तक डायबिटीज के मरीजों को इंसुलिन पंप और सीजीएम से ही बार-बार इंसुलिन लेना पड़ता था। अब दोनों की कनेक्टिविटी कर आर्टिफिशियल पेनक्रियाज क्रिएट किया गया है। इसमें लगा सेंसर से शरीर में इंसुलिन की मात्रा बताएगा और इंसुलिन पंप उतनी ही मात्रा में शरीर में इंसुलिन दे देगा। अभी तक चल रहे ट्रायल को मंजूरी मिली है और राजस्थान में 16 लोगों को यह आर्टिफिशियल पैंक्रियास अभी गया है। कंपनी के आर्टिफिशियल पैंक्रियास इक्विपमेंट को यूएसएफडीए से डेढ़ महीने में अप्रूवल मिलने की उम्मीद है।