भोपाल। दिनांक 14 से 21 जून के बीच कई लोग बीमार होंगे। लोगों की पाचन शक्ति कमजोर हो जाएगी। पेट में गैस, संक्रमण, हीटस्ट्रोक, फाइलेरिया, बुखार, दस्त, पेचिश, हैजा, गठिया, दाद, फुंसी और खुजली जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसका कारण है उत्तरायण काल। इस अवधि में वातावरण कुछ ऐसा बनता है की बीमारियां बढ़ने लगती है। इसलिए लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है। आयुर्वेद में इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर शुभा गुप्ता से बातचीत के आधार पर पत्रकार श्री अजय उपाध्याय की रिपोर्ट काफी उपयोगी है। डॉ गुप्ता बताती है कि जून के महीने में मानसून की नियमित गतिविधियां प्रारंभ होने से पहले। लोगों को फल और सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। कई स्थानों पर तो इसी कारण से फल और सब्जी के सेवन को किसी त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस अवधि में गेहूं, चावल और चना से बने खाद्य पदार्थ हानिकारक हो सकते हैं। इनकी मात्रा कम कर देनी चाहिए।
डा गुप्ता का कहना है कि फल और जूस का सेवन स्वास्थ्य वर्धक होता है। ताजे फलों में विटामिन, कैल्शियम, खनिज, फाइबर होता है, जो ऊर्जा प्रदान करता और बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। फलों की मिठास पाचन क्रिया को बेहतर करती है, इसलिए किसी भी उम्र में इनका सेवन फायदेमंद होता है। ऋतु के अनुसार फल व सब्जी का सेवन आपको स्वस्थ्य रखता है। ऋतु के विपरीत फल या सब्जी का सेवन बीमार करता है।
जून के महीने में कौन से फल खाने चाहिए
जून के महीने में बहुत सारे लोगों को एसिडिटी और खट्टी डकार ओं की समस्या आने लगती है। ऐसे लोगों को आम नहीं खाना चाहिए।
खरबूजे का अधिक सेवन शरीर में पानी की कमी को दूर करता है। यह शरीर को हाइड्रेट करता है और वात दोष को संतुलित करता है।
तरबूज में लाइकोपीन होता है, जो सूरज की हानिकारक किरणों के प्रभाव को कम करता है।
नारियल पानी का सेवन करने से शरीर हाइड्रेट रहता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व सीधे हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
नारियल पानी पाचन के लिए उत्तम है। यह हड्डियों को अच्छा रखता है और वजन नियंत्रण में भी करता है।
अंगूर खाने से कैल्शियम, पोटेशियम, क्लोराइड, सल्फेट, एल्युमिनियम और मैग्नीशियम की कमी नहीं होती है और आप बीमार होने से बचते हैं।