भोपाल। चुनावी माहौल के बीच बड़ी खबर आ रही है। कमलनाथ ने अपने सबसे वफादार को पार्टी से बाहर कर दिया। उनके एक डिसीजन से रूठे नरेंद्र सलूजा को मनाने के बजाय उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया। आलोचक इसे कमलनाथ द्वारा अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने की घटना बता रहे हैं।
राजधानी में हजारों लोगों ने कमलनाथ को नरेंद्र सलूजा की आंखों से देखा है। नरेंद्र सलूजा की पहचान कांग्रेस पार्टी के नेता से कहीं ज्यादा कमलनाथ समर्थक की रही है। वफादारी का लेवल इतना था कि जब मध्य प्रदेश की राजनीति में कमलनाथ का कोई नाम भी नहीं लेता था। तब नरेंद्र सलूजा कमलनाथ के बड़े-बड़े फोटो वाले बैनर लगाया करते थे।
नरेंद्र सलूजा के इस्तीफे से क्या नुकसान होगा
मीडिया विभाग के अध्यक्ष पद पर नरेंद्र सलूजा का स्वाभाविक दावा था एवं इसके लिए वह न केवल योग्यता बल्कि विशेषज्ञता भी धारिता करते थे। कमलनाथ ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। एक वफादार कार्यकर्ता का रूठ जाना स्वाभाविक था। गुस्से में इस्तीफा भेज देना भी स्वाभाविक था लेकिन कमलनाथ का इस तरह से इस्तीफा स्वीकार कर लेना स्वाभाविक नहीं था।
यह घटनाक्रम नरेंद्र सलूजा से ज्यादा कमलनाथ के लिए नुकसानदायक है। पूरी कांग्रेस पार्टी में एक संदेश जाता है कि कमलनाथ अपने सबसे खास वफादार का भी ध्यान नहीं रखते। मीडिया विभाग के अध्यक्ष पद इतना भी महत्वपूर्ण नहीं था कि अपने और कांग्रेस पार्टी के एक कर्मठ कार्यकर्ता का नुकसान कर दिया जाए।