भोपाल। सीएम राइज स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना में रिश्वतखोरी के आरोप के बीच लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा अपना पक्ष प्रस्तुत किया गया है। डीपीआई ने बड़ा मजेदार तर्क दिया है, विज्ञापन में मेरिट के आधार पर लिस्ट बनाने की घोषणा की थी, पदस्थापना घोषित नहीं की थी।
मेरिट के आधार पर लिस्ट बनानी थी, पदस्थापना नहीं
अपर संचालक लोक शिक्षण डीएस कुशवाहा ने आज पत्रकारों के सामने लोक शिक्षण संचालनालय का पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि विज्ञापन में स्पष्ट दिया गया था कि सूची मेरिट के आधार पर ही बनेगी, लेकिन उसमें कहीं भी मेरिट के आधार पर पदस्थापना दिए जाने की बात नहीं थी।
सिर्फ एक सवाल- पदस्थापना की पॉलिसी ही नहीं तो पदस्थापना कैसे
आज से पहले तक सभी सरकारी व्यवस्थाओं में मेरिट के आधार पर सूची बनती थी और सूची के आधार पर पदस्थापना होती थी। पहली बार किसी ने बताया कि सिर्फ सूची मेरिट के आधार पर बनाई है। पदस्थापना का आधार कुछ और है। अपर संचालक के तर्क को उचित मान लिया जाए तो विज्ञापन में परीक्षा के बाद सिर्फ मेरिट के आधार पर लिस्ट बनाने की बात की गई थी। पदस्थापना की कोई बात ही नहीं की गई थी। पदस्थापना की कोई पॉलिसी बनी ही नहीं। सवाल यह है कि जब पदस्थापना की पॉलिसी है ही नहीं, तो पदस्थापना किस आधार पर कर दी गई।
ईमानदारी का दावा- गाइडलाइन स्पष्ट है, गड़बड़ी असंभव
लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारियों ने दावा किया है कि गाइडलाइन स्पष्ट है। कहीं कोई गड़बड़ी की संभावना नहीं है। पहली प्राथमिकता सीएम स्कूल में पढ़ाने वाले क्वालीफाई शिक्षकों को दी गई है। उसके बाद मेरिट के आधार पर पदस्थापना के आदेश जारी किए गए हैं।
आपत्ती कर्ताओं का सवाल- प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों नहीं
4000 शिक्षकों की पदस्थापना में 130 से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं। एक बड़ा सवाल उठाया जा रहा है कि प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों नहीं थी। क्यों चुपके से लिस्ट बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी को बताई गई। क्यों समय रहते हैं पूरी लिस्ट एमपी ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई। क्या इसे ठगी नहीं कहा जाएगा, 1 जून को स्कूल टाइम में पदभार ग्रहण करना है और 1 जून को शाम को पदस्थापना सूची ऑफिशल पोर्टल पर अपलोड की गई।
अपर संचालक कामना आचार्य ने बीच के रास्ते बताएं
सीएम राइज स्कूल की परिकल्पना के समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट कहा था कि इन स्कूलों में सरकारी ढर्रे पर काम नहीं होगा लेकिन शिक्षकों की पदस्थापना का विवाद सामने आने के बाद शिकायतकर्ताओं को आश्वासन देकर चुप कराने की कोशिश की जा रही है। अपर संचालक कामना आचार्य ने बताया कि पोस्टिंग के बाद ट्रांसफर भी हो सकते हैं।
मुद्दे की बात:-
स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर कितना भी बढ़िया क्यों ना हो। स्कूल में कितने ही अत्याधुनिक उपकरण क्यों ना हो। यदि स्कूल में शिक्षक अच्छा नहीं है तो उस स्कूल का कोई अर्थ ही नहीं है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि देश के सबसे अच्छे सरकारी स्कूल मध्यप्रदेश में बने। पूरी व्यवस्था नहीं बदल सकते इसलिए सीएम राइज स्कूल के कांसेप्ट पर काम कर रहे थे। सब कुछ ठीक जा रहा था। शिक्षकों की पदस्थापना ने नाउम्मीद कर दिया।