Corruption Prevention Act, 1988 section 7 and 11
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 में हमने आपको बताया था कि अगर कोई लोकसेवक (government employee) किसी भी व्यक्ति से रिश्वत लेता है तब वह धारा 7 के अंतर्गत दोषी होता है लेकिन अगर कोई लोकसेवक किसी कार्रवाई को करने अथवा फाइल को आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत की मांग करता है तब किस धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा जानिए।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा 11 की परिभाषा:-
जो कोई लोकसेवक या अन्य, किसी लोकसेवक के नाम पर किसी कार्रवाई को करवाने या कारोबार, बिजनेस से संबंधित कार्य या अन्य किसी भी प्रकार के काम करवाने के लिए घूस लेता है या घूस की मांग करता है तब वह लोकसेवक उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 11 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है एवं यह अपराध अजमानतीय होंगे, इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट को हैं। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
नोट:- इस अपराध में असम्यक् लाभ का अर्थ है काम से पहले घूस लेना,
उधानुसार:- कोई थाने का भारसाधक अधिकारी किसी कार्यवाही को करने के लिए घूस की मांग करता है अर्थात कार्यवाही को पूरा नहीं किया गया है उससे पहले ही घूस लेने वाला थाना अधिकारी इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)